दिल का तड़पना क्या होता है......अब समझ में आ रहा है. जलती हुई शमां पे तो कोई भी परवाना कुर्बान हो जाता है...लेकिन जो बुझी हुई शमां पे कुर्बान हो जाए..वो बिरला ही होगा.......तुम सखी हो....तुम प्रियतमा हो.....तुम राधा हो.
दिल तो हर जीती हुई चीज़ का धडकता है.....लेकिन वो दिल जो किसी के लिए धडके.......उस धडकन का मज़ा अलग, नशा अलग....ना हो ख़ूने जिगर तो अश्क पीने का मज़ा क्या है.....तुम एक नशा हो.....
क्या एक पल हम अपनी ज़िन्दगी नहीं जी सकते......कहाँ हो तुम.....एक बार मेरे सीने पर अपना सर रखो और फिर महसूस करो...कि मोमबत्ती.....गर्मी पा कर कैसे पिघलती है.....
1 comment:
अहसासो का सुन्दर समन्वय्।
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