जब सब अपने...किनारा करने लगे...तो मैं क्या करूँ.....बालो तो.
ऐसा क्यों बोल रहे हो....आनंद.
हर प्रश्न का उत्तर नहीं होता....है...कुछ बाते...समझ ली जातीं हैं. ....... ज्योति.
किसने किनारा कर लिया ...किस अपने ने......?
पूछते हैं वो की ग़ालिब कौन है,
कोई हमे बतलाये की हम बतलाएं क्या.......
प्रेम अपनी कीमत मांग रहा है.....इसकी कीमत तो ज़िन्दगी होती...दे दूँ.......जब कोई किसी पर टिक जाए.....ज़िन्दगी का बाकी सफर करने के लिए....उस समय.....जब सहारा हटे तो......बोलो कोई क्या करे....बोलो तो.
आनंद.....हर सफ़र मे तो आसानियाँ नहीं होती.....कुछ सफ़र मुश्किलों के दौर से गुजरते हैं..... और अकसर गुजरते हैं......
ठीक कह रही हो, ज्योति...
ये ज़िन्दगी का सफ़र भी अजीब ही निकला,
सफर में सब हैं, मुसाफिर कोई नहीं लगता.......
बहुत कुछ सिखा दिया है ज़िन्दगी ने......ऐसा लगता है.
हाँ............जो स्कूल ना सिखा पाया......वो ज़िन्दगी ने सिखा दिया.... इंसान को पढना स्कूल मे नहीं सीखा था...वो इस स्कूल मे सीख लिया.
इतना टूट क्यों रहे हो...आनंद....
पता नहीं.....कुछ देर मुझे अकेला छोड़ दो......
आनंद ....अपना ध्यान रखना.....
मैं कुछ भी नहीं कर सकती.....
चिंता ना करो......सब वक़्त-वक़्त की बात है.
हे जानकी नंदन..... अब तुम ही मेरा ध्यान रखो.
एक - एक करके सब को अलग कर मुझको अपनी गोद मे ले लो....जानकी नंदन.
1 comment:
अब कौन सा मोड आ रहा है इसका इल्म होने लगा है……………उफ़!
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