Friday, August 23, 2019

एक पुराना मौसम लौटा - 8

संन्यास !! क्यों तुमको ऐसा क्यों लगा ?

नहीं तुम्हारे जो लक्षण दिख रहे हैं वो तो उसी तरफ इशारा कर रहे हैं।

अच्छा साहब! ऐसे कौन से लक्षण देख लिए आपने मेरे अंदर ? ये पहनावा ? भाई अगर धोती कुर्ता पहन कर संन्यास लिया जाता है तब तो समझ लो आधे से ज़्यादा आदमी संन्यासी हो गया।

नहीं आनंद , मैं पहनावे की बात नहीं कर रहा हूँ।  मैं तुम्हारे विचारों और तुम्हारे मनोविज्ञान को समझने की कोशिश कर रहा हूँ और ऐसा नहीं की इस तरह की बात तुम पहली बार कर रहे हो।  तुम्हारे अंदर दर्शन भी है और पहले से है लेकिन इस बार जो शिद्दत देख रहा हूँ , उससे ऐसा लगा और भाई हाँ पहनावे का भी कुछ योगदान तो है ही।

सुंदर , संन्यास या विरक्ति ये तो नहीं जानता।  लेकिन हाँ एक उचाटपन सा जरूर है।  लेकिन जिम्मेदारियों से भाग कर नहीं।  एक बड़ा अजीब सा परिवर्तन देख रहा हूँ अपने अंदर। लेकिन अच्छा सा परिवर्तन।  मैं सब में हूँ लेकिन अलग भी हूँ।  जब जिंदगी में हर चीज़ एक ड्यूटी की तरह ले लो न सुंदर , शायद तब ऐसा होता होगा।  यहाँ तक की दुनिया में सबको प्यार करना , मुहब्बत बांटना , ये भी तो इंसान होने के नाते एक ड्यूटी ही तो है और जो आदमी मुहब्बत में डूबा सो गया काम से। बस भाई मेरे देखना यह होता है की किसकी मुहब्बत में डूबे ? इश्क़े -मजाज़ी या इश्क़े - हक़ीक़ी ? भाई दुनिया में इतना ढकोसला है , इतने hypocrates  भरे हुए हैं कि भगवान् से प्रेम करो इसके ऊपर तो भाषण देते न थकते हैं ये लोग लेकिन उसी अल्लाह के बनाये हुए इंसान से नफ़रत।और अगर इंसान इंसान से मुहब्बत कर ले तो हाहाकार।

कृष्ण से मुहब्बत और कृष्णा से नफरत ? सुंदर की दार्शनिक जैसी टिप्पणी।

आनंद ने सुंदर की तरफ देखा और बोला - वाह सुंदर लेकिन ये सत्य है , यही हक़ीक़त है।