Wednesday, December 29, 2010

अपना ध्यान रखना.....

ख़त आया हुई दिल को तसल्ली लेकिन,
दिल बहुत तड़पा, जब याद तुम्हारी आई.....

तुम को पता होगा.....की मुझे  तुम्हारी कितनी चिंता रहती है......क्योंकि मुझे इस बात का एहसास है.....की तुम वो सागर हो....जिसके चेहरे पर तो हंसी और मुस्कराहट की लहरें हिलोरें मारती हैं.....लेकिन अंदर ....गहराई में  जो ज्वालमुखी फटतें हैं...वो कोई नहीं देख पाता......मुझे चिंता है......

तुम एक सीधी और सरल किताब हो....जैसे कक्षा १ या २ की हिंदी की किताब .... प्रे, म, त, ल, क..... इत्यादि  .....वो तो हमरे उपर है...की हम उन अक्षरों को जोड़ कर प्रेम बना लें.....या तलाक.....तुम्हारी शहद से भीगी हुई , ख़स की तरह  महकती हुई, पायल की तरह खनकती हुई .....आवाज़ ........... मेरी साँसों को जीवंत करती हुई.....तुम्हारी सांसे, दिल में , हसरतों के हुजूम के बीच रास्ता बनाती हुईं  ... तुम्हारी धडकने....सब कुछ ....ज़िंदा है......मेरे अंदर.....मानो तो मेरी बात......मानती हो न.....बोलो तो.

एक जमाना गुजर गया......अपना ध्यान रखना.....

1 comment:

vandana gupta said...

जब ख्याल रखने वाला इतना ख्याल रख रहा हो तो और कैसे कोई अपना ख्याल रखे………………