मैं ज्योति को घर छोड़ आगे चल पड़ा......सोचता हुआ.....कि इस से बात कर दिल कितना हल्का हो जाता है.......अनायास ही कुछ समय पहले का वाक्या मेरे जहन में घूम गया.....जब मैं टूटा था......और ज्योति ने अपनी हदों से पार जाकर मेरा साथ दिया....और आज मैं फिर चल - फिर रहा हूँ.......मैं हार सकता हूँ...लेकिन ज्योति को ज़िन्दगी मैं कभी भी हार नहीं मानने दूंगा....ये वादा किया था मैने अपने आप से.
चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले,
कितने गम थे जो तेरे गम के बहाने निकले....
हाँ....जो चोट खाई थी मैने......उस जख्म मैं कभी-कभी दर्द होता है.....जब-जब पुरवाई चलती है...पुराने जख्म उभर जाते हैं......तब एक वही ही तो हो...जो उन अनदेखे जख्मों पर मरहम लगाती थीं...
याद है उसीने ने मुझसे कहा था.....
रखते हैं जो ओरों के लिए प्यार का जज्बा,
वो लोग कभी टूट कर बिखरा नहीं करते....
जब कभी वो दूर हुईं...मैने अपने लेखों के सहारे उस तक अपना सन्देश पहुंचाने कि कोशिश करी......लेकिन अगर वो कभी भी हारी .....तो मैं हारूंगा ही नहीं..... टूट भी जाउंगा....और तब सम्हालने वाला भी कोई नहीं होगा.....ये मेरा भाग्य होगा.....
धीरे धीरे मैं कब उसकी तरफ झुकता चला गया पता नहीं चला....रह-रह के पुराना दर्द कभी टीस दे जाता था....तो दर्द बाँट लेता था........लेकिन नहीं....अब नहीं....और नहीं......
मेरा भाग्य......
3 comments:
Hindi me comments nahi likhna aata .. So english
Filled with pain and love, these sentiments come from the heart. At times there is no way, except than just love unconditionally without any expectations. People say with time it heals, but with time it can grow too. Is it fortune? or destiny? Is there a difference? Could it be different? Can it change ? These thoughts do not disappear and hence its faith. The power of love is immense.
ओह! अब भाग्य के कदमो मे और कितना पिसना बाकी है?
बहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित...आज की रचना "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद
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