क्या लिखूं....क्योंकि दिल में जो भावनाएं उठतीं हैं.....उनको शब्द देना संभव नहीं है....इसीलिए तो कहतें हैं कि भावनाओं को सिर्फ समझा जा सकता है.....शब्दों कि अपनी भी एक सीमा होती है...उससे आगे वो भी असहाय हो जाते हैं.....
तुम तो जानती हो ना तपस्वनी...कि मैं This too shall pass में अखंड विश्वास करता हूँ...जीवन जीने का ये मन्त्र मेरे गुरुदेव ने ही मुझे सिखाया......और यही सत्य भी है....वक़्त के साथ सब से अच्छी बात यही तो है...कि गुजर जाता है...अच्छा हो तो भी गुजर जाता है और बुरा हो तो भी.....लेकिन जब तक वो गुजरने का दौर चलता है...तब तक होने वाली पीड़ा को जो सहन कर ले...वही तो इंसान है.....तुम जानती हो कि मैं हारने वालों में से नहीं हूँ.... मेरे पिता जी ने मुझसे एक बार कहा , जब वो मुझे ज़िन्दगी कि जंग के बारे में बता रहे थे...कि either come on the shield or come with the shield.
मैं अपने लिए नहीं जीता....तपस्वनी. जब में उन लोगों कि तरफ देखता हूँ जो मुझसे जुडे हैं, और अगर वो कोई चीज़ मुझसे मांग लें और में पूरा ना कर पाऊं, तब जो टीस दिल में उठती है.....है राधा, वो अंतर को अंदर तक चीरती हुई चली जाती है......और तब मेरे अंदर लहू ही लहू नज़र आता है...जो आँखों मे उतर आता है...क्रोध के रूप में....उनके उपर नहीं.....बल्कि अपने उपर.....और असफलता का भाव....मुझे तार तार कर देता है....
ये जो तुम आज पढ़ रही हो...ये मेरे जीवन का वो पक्ष है...जिसकी तरफ मैं खुद देखने से डरता हूँ....कौन उन चीज़ों को देखना चाहेगा जो उसको भयभीत करती हों, स्वयं पे से उसका विश्वास कम करती हों, .....बोलो तो. लेकिन....अगर सफाई करनी है....उन चीज़ों से बाहर निकलना है...तो उनके अंदर घुस के, उनको बर्दाशत करते हुए...उन से निकलना तो पड़ेगा ही......दो चार तो होना ही पड़ेगा....
पिता जी कहा करते थे कि William Shakespeare died at the age of 52 and George Bernard Shaw started writing at the age of 52....and both are legends.....तो किसकी किस्मत कब रुख बदलेगी....कोई नहीं जानता ...हमको अपने प्रयत्न में कमी नहीं करनी चाहिए....ईमानदार प्रयत्न....वही गीता का सार ..." कर्मण्येवाधिकारस्ते, माँ फलेषु कदाचना"...सब सच है.....
मेरी लिए एक प्रार्थना करोगी...तपस्वनी.....अपने ख़ुदा से..... सिर्फ इतना कहना...कि जो लोग भी मुझसे जुड़े हैं....उनकी सारी तकलीफें, अल्लाहताला मुझे दे दे....और वो सदा मुस्कराते रहें....बस अल्लाह इतनी सी अर्ज़ सुन ले....
मेरी लिए इतना करोगी ना......बोलो तो.
तुम तो जानती हो ना तपस्वनी...कि मैं This too shall pass में अखंड विश्वास करता हूँ...जीवन जीने का ये मन्त्र मेरे गुरुदेव ने ही मुझे सिखाया......और यही सत्य भी है....वक़्त के साथ सब से अच्छी बात यही तो है...कि गुजर जाता है...अच्छा हो तो भी गुजर जाता है और बुरा हो तो भी.....लेकिन जब तक वो गुजरने का दौर चलता है...तब तक होने वाली पीड़ा को जो सहन कर ले...वही तो इंसान है.....तुम जानती हो कि मैं हारने वालों में से नहीं हूँ.... मेरे पिता जी ने मुझसे एक बार कहा , जब वो मुझे ज़िन्दगी कि जंग के बारे में बता रहे थे...कि either come on the shield or come with the shield.
मैं अपने लिए नहीं जीता....तपस्वनी. जब में उन लोगों कि तरफ देखता हूँ जो मुझसे जुडे हैं, और अगर वो कोई चीज़ मुझसे मांग लें और में पूरा ना कर पाऊं, तब जो टीस दिल में उठती है.....है राधा, वो अंतर को अंदर तक चीरती हुई चली जाती है......और तब मेरे अंदर लहू ही लहू नज़र आता है...जो आँखों मे उतर आता है...क्रोध के रूप में....उनके उपर नहीं.....बल्कि अपने उपर.....और असफलता का भाव....मुझे तार तार कर देता है....
ये जो तुम आज पढ़ रही हो...ये मेरे जीवन का वो पक्ष है...जिसकी तरफ मैं खुद देखने से डरता हूँ....कौन उन चीज़ों को देखना चाहेगा जो उसको भयभीत करती हों, स्वयं पे से उसका विश्वास कम करती हों, .....बोलो तो. लेकिन....अगर सफाई करनी है....उन चीज़ों से बाहर निकलना है...तो उनके अंदर घुस के, उनको बर्दाशत करते हुए...उन से निकलना तो पड़ेगा ही......दो चार तो होना ही पड़ेगा....
पिता जी कहा करते थे कि William Shakespeare died at the age of 52 and George Bernard Shaw started writing at the age of 52....and both are legends.....तो किसकी किस्मत कब रुख बदलेगी....कोई नहीं जानता ...हमको अपने प्रयत्न में कमी नहीं करनी चाहिए....ईमानदार प्रयत्न....वही गीता का सार ..." कर्मण्येवाधिकारस्ते, माँ फलेषु कदाचना"...सब सच है.....
मेरी लिए एक प्रार्थना करोगी...तपस्वनी.....अपने ख़ुदा से..... सिर्फ इतना कहना...कि जो लोग भी मुझसे जुड़े हैं....उनकी सारी तकलीफें, अल्लाहताला मुझे दे दे....और वो सदा मुस्कराते रहें....बस अल्लाह इतनी सी अर्ज़ सुन ले....
मेरी लिए इतना करोगी ना......बोलो तो.
1 comment:
अरे आज ये क्या मांग रहे हैं………………कहानी जिस रूप मे चल रही है चलने दें।
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