आज तीसरा दिन है......कोई खबर नहीं है तुम्हारी.....तुम जानते हो मुझे चिंता होती है.....लेकिन....कुछ तो बात होगी इसलिए तुमने कोई सन्देश भी नहीं भेजा.....तुम पढ़ रहे हो ना......जब कोई तूफ़ान आता है....अपनों को अपनों की चिंता नहीं होगी तो किसे होगी.......बोलो तो.
मैं आप का क्या करूँ......आप को तो इतना भी समझ मे नहीं आता की की चिड़िया के हाँथो ही सन्देश भिजवा दो..गुस्सा तो आ रहा है..लेकिन क्या करूँ.....तबियत कैसी है तुम्हारी......आशा करतीं हूँ...की तुम अब पहले से कुछ ठीक होगे.....लेकिन तुम्हारी तबियत सी-सा की तरह उपर नीचे क्यों होती है......बताओ तो......
क्यों इतने बिखरे हुए रहते हो तुम.......मैं तुम्हारी पीड़ा समझती हूँ....
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