हेल्लो......क्या मैं अंदर आ सकता हूँ......
कौन....ओह....आनंद.....आइये......कैसे आना हुआ....?
कुछ काम नहीं था....इधर से गुजर रहा था, सोचा सलाम करता चलूँ....हांलांकि मौसम अब बदल रहा है....
बैठिये...चाय लेंगे...?
नहीं......तक्कल्लुफ़ न करिए.
और बताइए.....आराम से हैं...आप..?
हाँ...सब ठीक है......सब कुशल है.....आप बताइए....
सब ठीक है.......
दोनों चुप......दोनों के पास बाते बहुत हैं...लेकिन दोनों चुप....
ये किताब नयी ली है ...आप ने.....
हाँ......अच्छी है.
कभी केशव प्रसाद मिश्र की कोहबर की शर्त पढियेगा..... माफ़ करियेगा बिना पूंछे सलाह दे रहा हूँ. आप को पढने का शौक है इसलिए बोल बैठा.
नहीं नहीं कोई बात नहीं.....अरे लाइट चली गयी.....मैं जरा लालटेन जला दूँ.....
जी.....
फिर चुप्पी......शाम हलके हलके रात के दामन में समाती जा रही थी....लेकिन यहाँ पर दो लोग चुप्पी के सहारे बात कर रहे थे.....आज पहली बार उसने मुझसे पूंछा की चाय पियोगे....जो ये जानती है की चाय तो मेरी संजीवनी बूटी है......लेकिन आज ओपचारिकता निभाने का वक़्त है....जो दिल कभी एक साथ धड़के हों...उनको अलग होने में थोडा वक़्त तो लगता है, थोड़ी तकलीफ भी होती है..थोडा खून भी बहता है...वो खून लाल रंग का नही होता, वो अरमानों का खून होता है, वो सपनों का खून होता है, वो उम्मीदों का खून होता है.....और इन सब का रंग लाल नहीं होता......
आप की तबियत कैसी है.....५ मिनट के अंतराल पर एक सवाल .
ठीक है......२ सेकंड में जवाब.
आप आज कल स्कूल नहीं आ रहे हैं.....? दूसरा ओपचारिक सवाल.
मैंने इस्तीफ़ा दे दिया है......तुरंत जवाब.
उसकी आँखों ने पूंछा क्यों?
लेकिन मैं होंठो के हिलने का इंतज़ार करता रहा.....की सवाल आये.
लेकिन कोई सवाल नहीं.......
अच्छा अब चलता हूँ......तुम्हारा का काफी समय ले लिया मैंने....
नहीं ....ऐसा कुछ नहीं है.
थोड़ी ठंड है...कुछ गर्म पहन लीजियेगा...तुमको को ठंड जल्दी असर करती है. अच्छा नमस्कार........ कहा सुना माफ़ करियेगा.
ये आनंद और ज्योति के बीच का संवाद है....
3 comments:
अरे क्या हो गया दोनो के बीच? क्या अब नया मोड आयेगा कहानी मे?
Quite interesting conversation .
sukhd mod par shayad pahunchne wali hai katha ..
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