Thursday, March 4, 2010

किस जमाने के आदमी तुम हो....... एक संवाद

" दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदे...........
 किस जमाने के आदमी तुम हो ??????? 
एक गहरी सांस भरकर सुंदर लाल मुझसे  मुखातिब हुआ और दो चार प्यार भरी गालियाँ देकर बोला आप न कुत्ते की पूंछ हैं न वो सीधी हो सकती है, और न आप.

मैने कहा, सुंदर लाल अब हुआ क्या है वो भी बता दो. तानेबाजी से क्यों काम चला हो रहे हो.

उसने  पूंछा  भाईसाहब, आप दिमाग के इस्तेमाल से परहेज क्यों करते हैं.  इतनी चोट खा चुके है, फिर भी आप नहीं सीखते हैं.
 मैने  कहा - फसले- गुल आई, तो फिर एक  बार असीराने-वफ़ा, 
                   अपने ही खून के दरिया मे नहाने निकले.  
सुंदर लाल, क्यों आप लोग मुझे बदलना चाहते है. अरे ठीक है हर आदमी अपनी अपनी  सोच के हिसाब से व्यवहार करता है. मैं तो उनको भी दोष नहीं देता. तो आप लोग क्यों  चाहते हैं कि मै अपने आप को बदल लूँ. तुम लोग दूसरों के व्यहार को इतनी अहमियत क्यों देते हो कि वो तुम्हारे उपर हावी हो जाए और हमको अपना स्वभाव बदलने को मजबूर करे.
"  मैं एक कतरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे समुंदर  जो मेरी तलाश मै है. "

सुंदर लाल को एक झटका लगा. उसका चेहरा देख कर मै समझ सकता था कि वो मुझसे सहमत है. दूसरो से चोट खा के सावधान हो जाना गलत नहीं है, लेकिन उसके लिए अपने आप को बदल लेना, गलत है. क्योंकि आप के बदल जाने से कई ऐसे भी लोग होते हैं , जिन्हे आप का स्वभाव अच्छा लगता है, फिर वो भी आप से दूर हो जाते हैं. समझे श्रीमान सुंदर लाल जी. तुम को साधू और बिच्छू  वाली कहानी तो याद होगी. एक साधू नदी में नहा रहा था और नदी में एक बिच्छू बहता हुआ जा रहा था. साधू ने उसी अंजुली मै भर कर बाहर निकालने कि चेष्टा करी तो बिच्छू ने डंक  मार दिया, और वापस नदी में गिर पड़ा.  साधू ने फिर उसे बाहर निकालने कि कोशिश  करी फिर वही हुआ. लगातार तीन-चार बार यही होने के बाद, साधू ने बिच्छू को नदी से बाहर निकाल कर बचा लिया. 

एक आदमी ये सब देख रहा था. उसने साधू से पूंछा कि जब वो बिच्छू बार बार आपको डंक मार रहा था, तभी आप उसको बचाने कि कोशिश क्यों कर रहे थे. 
साधु ने  जवाब दिया- जब वो जानवर हो कर अपना स्वभाव नहीं छोड़ रहा था, तो मै इंसान हो कर अपना स्वभाव क्यों छोडू?

सुंदर लाल कहने लगा कि भाईसाहब दर्शन से जिन्दगी नहीं चलती. मैने कहा सुंदर लाल, ये दर्शन नहीं , ये सच है. भाई मै जैसा हूँ, वैसा ही हूँ. जो मेरे स्वभाव से मेल खायेगा, मेरे साथ रहेगा, जो नहीं , वो नहीं. इसमे इतना सोचना समझना क्या.  

सुंदर लाल, मेरे जीवन का दर्शन बहुत सीधा है, प्यार बाँटते चलो......

वो अपने वक़्त के नशे में , खुशियाँ  छीन ले तुझसे,
मगर तुम जब हंसी बांटो, तो उसको भूल मत जाना.

यही है मेरी जिन्दगी और इसको जीने का तरीका.......