आज कुछ लिखने का मूड नहीं है. काम करने का मूड नहीं है. आज थोड़ी सी निराशा है, थोड़ी सी उदासी है. और इसका भी एक रंग होता है. इसका अपना मज़ा होता है. कभी कभी मन करता है कि चुपचाप अकेले में बैठूं और सिर्फ अपने उपर सोचूं. ये भी जरुरी है. कहाँ तक सोचूँ दुनिया के बारे में, दुनिया के लोगो के बारे में, समाज के बारे मे.
मेरे एक अभिन्न मित्र है, जी वही, ठीक पहचाना आप ने. श्री सुंदर लाल जी " कटीला" उन्होने एक बार मुझसे कहा कि " आप ने कभी सोचा कि मुझ मे और आप मे क्या फर्क है?" मैने आंखे बड़ी करते हुए , उत्सुकता के साथ पूंछा क्या फर्क है? वो बोला- "आप दिल से काम करते हो, मै दिमाग से काम करता हूँ". बात आई - गयी हो गयी. लेकिन मुझे सोचने पे मजबूर कर गयी. शायद उसका विश्लेषण सही था.
मैने उससे पूंछा " तो दिल से काम करने मे हर्ज़ क्या है"? वो बोला " हर्ज़ कुछ नहीं है, बस इसी तरह परेशान रहा करो". " अंधो के शहर मे आइने क्यों बेचते हो? उसने मुझसे पूंछा. मै कुछ देर चुप रहा, मुझे लगा कि वो सही पूंछ रहा है. मैने कहा कि भाई सबका अपना - अपना स्वभाव होता है. मेरी बात पूरी भी नहीं हो पाई कि वो बोला " मै जानता था कि आप यही जवाब दोगे" . अरे स्वभाव तो बदलना पड़ता है. आप अरूप को देखो, वो भी तो आप जैसा ही था, और अब क्या है उसका स्वभाव? लोग डरते है उससे. क्योंकि वो भी लोगो को इस्तेमाल करने का हुनर सीख गया है और उस हुनर को बखूबी इस्तेमाल करता है. वो चीजों से प्यार करता है और इंसानों को इस्तेमाल. भाई मेरे ये दुनिया है.
आप तो अंग्रेजी के विद्वान हैं, आप ने तो वो कहावत सुनी होगी " casting pearls before swine". मै ये नहीं कहता कि आप भी अरूप जैसे बन जाओ, लेकिन इंसान को पहचानना तो सीख लो. अरे लात मारो दुनिया को, और दुनिया आप की जेब मे होगी.
दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है,
मिल जाये तो मिट्टी है, खो जाये तो सोना है.
मैने कहा " सुंदर लाल, आज क्या मुझ को बदल ही डालोगे"? भाई मै करूँ तो क्या करूँ. अजीब दर्द का रिश्ता है सारी दुनिया से, कहीं हो जलता मकाँ, अपना घर लगे है मुझे? हाँ इतना जरूर है कि मै चेहरा देख कर लोगो पे भरोसा कर लेता हूँ, ये मेरी कमजोरी जरूर है. भगवान् से प्रार्थना करो कि मुझे भी पत्थर बना दे. मेरी तो भगवान् से यही इल्तजा है कि " या धरती के जख्मो पर मरहम रख दे, या मेरा दिल पत्थर कर दे , या अल्लाह".
शायद , सुंदर लाल ठीक ही कह रहा है. अगर दुनिया मे रहना है तो इसके काएदे क़ानून सीखने पड़ेंगे. आप लोग मुझे क्या राय देना चाहेंगे.................
कभी कभी यूँ भी हमने, अपने दिल को समझाया है,
जिन बातो को खुद नहीं समझे, औरों को समझाया है.
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