Tuesday, March 23, 2010

अगर हम कहें और वो मुस्करा दे...

वो हंसी बांटता  है. क्या वो जोकर है?  जी हाँ मैं अपने मित्र सुंदर लाल जी के बारे मै आपकी राय जानना चाहता हूँ. पिछले कुछ दिनों से वो काफी परेशान है, उलझा हुआ है. मैने सुलझाने कि कोशिश करी तो मै खुद उलझ गया.

जी हाँ, सुंदर लाल कि एक आदत है कि वो जहाँ बैठता है, लोग हंसते ही रहते हैं. उसको बड़ा अच्छा लगता है.  किसी उदास चेहरे पे अगर वो एक हंसी की लकीर खींच पाये तो समझता है की आज दिन अच्छा बीता. उसको लगता है खुदा की दी हुई जिन्दगी मे, कम से  कम एक दिन तो काम आया.  किस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन, किस्मत मे क्या लिखा है, अल्लाह जानता है.  तो फिर डर कैसा. जितने दिन खुशीयाँ बाँट सकते हो, बाँट लो, न जाने कब बुलावा आ जाये.

घर से बहुत दूर है मंदिर, चलो यूँ कर लें.
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये.

सुंदर  लाल, अपने आप मे भूल-भुलइया है. क्योंकि किसी का दर्द बांटने का सुख  क्या है , वो सिर्फ वही जानता होगा जिसने दर्द भोगा होगा. दर्द होता रहे और आप अगर मुस्करा सकते हैं तो आप इंसान हैं और उसमे भी अगर आप दुसरे का दर्द बांटने की हिम्मत रखते हैं, तो आप इस दुनिया के नहीं हैं. जी हाँ , मै सच कह रहा हूँ.

उन घरों मे जहाँ मिटटी के घड़े रहते हैं,
कद मे छोटे हों, मगर लोग बड़े रहते हैं.

सुंदर लाल वो इंसान है, जिसको लोगो ने जम कर इस्तेमाल किया है, उसकी मासूम सी भावनाओं के साथ खेला है, लेकिन सुंदर लाल ने हंसने और हँसाने की वो ढाल इस्तेमाल करी की लोग उलझ के रह गए. कई गलतफहमियों को जन्म देती है उसकी हंसी,मगर वो बेपरवाह.

मैने ज्यादा जोर देकर जानने की कोशिश करी, उसके परिवार वालो के बारे मे जानने की कोशिश करी ,  तो बोला:-

समझोतों की भीड़ भाड़ में, सबसे रिश्ता टूट गया,
इतनी घुटने टेके हमने, आखिर घुटना टूट गया.
देख शिकारी तेरे कारण, एक परिंदा टूट गया,
पत्थर का तो कुछ न बिगड़ा, लेकिन शीशा टूट गया.

मैने पूंछा,  शिकारी कौन है? 

वो देखो बचे खेल रहे हैं आओ उनके साथ खेलें. वो बोला.

1 comment:

Shikha Deepak said...

दिल से दर्द का रिश्ता और दर्द से हंसी का रिश्ता.............सभी कुछ तो बता डाला यहाँ आपने।