मेरा बड़ा मन था कि में भी राजनीतिज्ञ बनूँ, नेता बनूँ और देश के लिए कुछ करूँ। देश सेवा के लिए नेता बनना तो जरूरी हैं, न। कई बार सोचा कि चुनाव लडूं, लेकिन कमबख्त जेब नहीं इज्ज़ाज़त देती। सोचता हूँ अपने चुनाव के लिए किसी बड़े कोर्पोरेट कंपनी से बात करूँ। आज कल तो हर चीज़ मे प्राइवेट के भागदारी होती है, इस मे कुछ हर्ज़ मुझे नज़र नहीं आता और बड़े बड़े लोगो के चुनाव का खर्चा भी तो प्राइवेट कंपनी उठाती हैं। बोलो हाँ कि ना? लेकिन मै कोई नामी गिरामी नेता तो हूँ नहीं या सिनेमा का एक्टर या खिलाड़ी, जिस पर पैसा कोई लगाये. मै तो इंसान हूँ और इंसानों पे पैसा कौन लगता है आजकल?
लेकिन आज कल के आदरणीय नेताओ को देखकर तो नेता शब्द गाली लगने लगा है. आज कल कि राजनीति तो गुंडों,मवालियों या जोकरों का अड्डा है. और संसद सबसे बड़ा अखाड़ा. सोचता हूँ एक बार नेता बन जाऊं, पांच सालों के लिए, उसके बाद संन्यास. जी हाँ..... पांच साल मै इतना तो कमा ही लूंगा
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1 comment:
लेकिन आज कल के आदरणीय नेताओ को देखकर तो नेता शब्द गाली लगने लगा है.
....सही कहा .......
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यह पोस्ट केवल सफल ब्लॉगर ही पढ़ें...नए ब्लॉगर को यह धरोहर बाद में काम आएगा...
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_25.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
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