Thursday, March 18, 2010

मेरा भारत महान

क्या सवेरा हो गया? उसने बिस्तर पर करवट बदलते हुए पूंछा
मुंह से चादर हटाओ और देखो, पत्नी ने कुछ प्यार और कुछ ताने के साथ जवाब दिया.
उसने चादर हटा कर खिड़की से बाहर देखा तो उसको अंदाज़ हो गया कि जिस जगह पर सूरज है, कम से कम आठ तो बज ही गए हो गए होंगे.
एक कप चाय आप के हाँथो से मिल जाये तो मेरा सवेरा हो जाये. उसने रोमांटिक होते हुए, पत्नी से कहा.
पत्नी ने भी समझ लिया कि साहब आज दार्शनिक मूड मे उठे है. ओह, आज तो शनिवार है, आप कि छुट्टी है तभी साहब आराम से हैं नहीं तो अब तक तो तैयार हो कर ऑफिस जाने के लिए पदयात्रा कर रहे होते.

खैर, पत्नी ने चाय बनाई एक कप मेरे लिए और एक कप अपने लिए भी. और हम दोनों सवेरे कि चाय का आनंद ले रहे थे. पत्नी ने हाँथ मे अखबार थमा दिया और मेरा दिन बर्बाद हो गया. इसलिए नहीं कि पत्नी ने अखबार दिया, बल्कि इसलिए कि अखबार की खबरें , TV कि खबरें मुझे असहाय होने का एहसास दिलवाते हैं. क्योंकि आधे से ज्यादा अखबार तो ऐसी खबरों से भरा होता है जिन को पढ़ कर मेरा खून खौलता है लेकिन मै कुछ भी नहीं कर सकता. और जो कर सकते है , वो करते नहीं है.

मुझे तकलीफ होती है ये देखकर  कि एक ईमानदार  पुलिस वाला एक हत्या के आरोपी नेता को सलाम कर रहा है. एक आयकर विभाग के ईमानदार अफसर एक भ्रष्ट नेता कि जी हुजूरी मे लगा हुआ है. एक ६२ साल का बूढ़ा, अपनी पेंशन  के लिए अफसर को रिश्वत देने के लिए पैसो के इंतजाम मे लगा हुआ है. गाँव कि औरते पानी के लिए मीलों दूर जा रही है और आदमी चौपाल पे बैठकर हुक्का पी रहा है. पास के गाँव मे नेता माइक  पे चिल्ला रहा है. दूर शहर मे दलितों की  देवी को लाखो-करोड़ों की माला पहना कर उसका  अहंकार संतुष्ट किया जा रहा है. गोवा मे हमारे विदिशी महिला अतिथि का बलात्कार कर के उसकी हत्या कि जा रही है. संसद मे माइक तोडे  जा रहे हैं.  जूते फेंके जा रहे हैं, पुरुष सांसद महिला आरक्षण बिल के साथ भी बलात्कार कर रहे हैं.  करोड़ो का गेहूं सड़ रहा है, खाद्य मंत्री ने उसकी जांच के लिए कमेटी का गठन करने का आश्वासन दे दिया है. विपक्ष शांत हो गया है. पुलिस का बड़ा अफसर, अपनी बेटी के उमर कि एक बच्ची के साथ बलात्कार करने की कोशिश करता है.

टीवी पर विज्ञापन आ रहा है " मेरा भारत महान" .

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