क्या तुझे कभी भी थकान नहीं होती........... मेरा प्रश्न.
क्यों.... मुझे क्यों थकान होगी? मेरी ये आदत तुम्ही ने तो डलवाई.
मैने...............?
हाँ....... तुमने. आश्चर्य क्यों?
नहीं............ मैने कैसे?
शुरू से ही तुमने मुझे स्वतंत्र छोड़ा है.
तुम क्या कह रहे हो मेरी समझ मे नहीं आ रहा है.
(एक हँसी........) क्या समझ मे नहीं आ रहा है? तुम सब समझते हो........... लेकिन अनजान बन कर, तुम मुझे नहीं अपने आप को ही छलते हो.
तुम पहेलियाँ मत बुझाओ.
मै..................
हाँ....... तुम कौन हो? कौन सी शक्तियों की बात कर रहे हो?
तुम अपने अंदर की शक्तियों से अनजान क्यों बने रहते हो??? तुमने अपने आप को दुनिया की गंदगी मै इस तरह लपेट रखा है की तुम अपने आप से ही दूर हो गए........... तुम जिस विशाल और विस्तृत के अंग हो, उसी से तुम ने अपने आप को दूर कर लिया. और फिर विलाप .......... किस छलावे मे जी रहे हो तुम .
तुम हो कौन...............?
मै कौन हूँ............... ? इस बात का जवाब मे अनगिनत बार दे चुका हूँ. तुमको सच्चाई सुनने की आदत नहीं रही.
मुझे भ्रमित मत करो.....
मैं भ्रमित नहीं करता. मै भ्रम से निकालता हूँ. तुम खुद भ्रमित हो. तुम अपने आप को हटाओ और फिर देखो. भ्रम मे कौन है.
मै तो शाश्वत हूँ. अगर नियंत्रण करो तो मै तुम हूँ और बेलगाम छोड़ दो, तो मै तबाही भी हूँ. मै ऊर्जा हूँ. मेरा उचित उपयोग तुम्हारे उपर निर्भर है.
मेरे उपर.............. मुझे डराओ मत.
डर, साहस ये सब मेरी सत्ता मे नहीं होता. जिस चीज़ से तुम डरते हो, वही किसी का साहस का कारण होता है.
हाँ इतना जरूर कहूँगा की मुझको नियंत्रित करने की लिए ऋषियों ने हज़ारों साल की तपस्या की, लेकिन कुछ ही कामयाब हुए.
क्योंकि मैं मन हूँ.............
4 comments:
सुन्दर लेखन।
"बेहतरीन पोस्ट..."
वाह ...!!
वाह ………………।क्या बात कही है…………………बेहद सुन्दर चित्रण्।
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