Saturday, July 3, 2010

निंदक नियरे राखिये

अब ब्लॉग लिखने का आनंद आ रहा है जब मेरे निंदक भाई और बहन मुझे तार तार करने पर उतारू हैं. स्वागत है. मै अपने निंदक दोस्तों से इतना जरूर कहना चाहूँगा की दुश्मनी जम  कर करो, मगर ये गुंजाइश रहे. जब हम दोस्त बने तो शर्मिंदा न हो. मै अपने निंदक भाई और बहनों को एक मूर्तिकार के रूप मे लेता हूँ, जैसे वो फ़ालतू पत्थर हटाकर मूर्ति बना लेता है. मेरे निंदक अभिवावक गण मेरी कमियों को हटाकर मुझमे से मूर्ति निकालना चाहते है.  
स्वागत है.
मै इतना जरूर कहना चाहूँगा की मे जो भी लिखता हूँ, किसी व्यक्ति विशेष पे नहीं लिखता हूँ. लेकिन अगर मेरे ब्लॉग से किसी को चोट लगी हो, तो मुझे माफ़ फरमा दें.

अगर आप अपनी किसी निजी दुश्मनी का बदला लेना चाहते हैं तो उसके लिए ब्लॉग जैसा PUBLIC PLATFORM उचित होगा , ये सोचियेगा.

मेरे बच्चों का जिक्र करके आप ने अपनी इज्ज़त मेरी नज़रों मे और भी बढ़ा दी. खुदा आप को सलामत रखे.

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