Thursday, April 15, 2010

कोई थोड़ा पानी डाल देगा क्या.......

कुछ पौधे रेगिस्तान मे भी होते हैं. उपर से सूखे, कांटो को लिए हुए, लेकिन जमीन के भीतर जडें बहुत कोमल और बहुत गहरी होती हैं, और धरती का सीना चीरकर पानी लेती हैं ताकि बाहर पौधे का सूखापन बना रहे. यही सूखापन उसको ओरों से अलग कर देती है. लेकिन धरती के अंदर उसकी जड़े इतनी ताकत उस पौधे को दे देती है, की पौधा,बाहर चलने वाले हर तूफ़ान को झेल जाता है, बर्दाशत कर लेता है, फिर भी सुखा ही सही, लेकिन खड़ा रहता है. उसको सुखा और बेकार समझ कर जानवर भी उसको खाने से इनकार कर देते है, और वो अपने अस्तित्व को , अपने सूखेपन के सहारे ही  सही, लेकिन बचा लेता है. ये उस पौधे  की नियति है.

इस सुखे हुए पौधे के लिए जिन्दा रहने के लिए किसी की प्रार्थना और किसी का अथाह प्यार भी था, ये उस पौधे को पता ही नहीं था. वो तो अपने होने न होने के एहसास से भी परे था. आज वो पौधा पेड़ बन चला, लेकिन है आज भी रेगिस्तान मे ही. उसके चारो तरफ जिन्दगी हर रंग मे नाचती है, लेकिन वो .............
दुनिया मे हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ,
बाज़ार से गुजरा हूँ, खरीददार नहीं हूँ.

जब तुम नहीं थे , तो ये मेरे कांटे  भी, मुझे अच्छे लगते थे, क्योंकि ये तो भगवान् ने ही मुझे दिए थे, वरदान या अभिशाप... वो  ही जाने. अब कभी कभी मन करता है, की तुमको कुछ दूँ, लेकिन मेरे अस्तित्व मे कांटे ही कांटे है. जो मेरी सच्चाई है. जो फूल तुम देख रहे हो, जरा करीब से देखो, इनमे खुशबू नहीं मिलेगी तुमको. ये तो जमाने को बहलाने की लिए मैने खुद अपने उपर सजा लिए हैं.  वो अपने आप मे कभी नहीं रहता, क्योंकि उसको ये नहीं पसंद है, की कोई उसके अन्तस्तल तक पहुँच पाये, कोई उसको समझ पाये, इसलिए वो उपर से कई किरदार जीता है.

अब वो पेड़ अपने आप को कोसता भी है, और भगवान् से शिकायत भी करता है की पेड़ ही बनाना था, तो ऐसा बनाया होता की चार लोगों को छाया ही मिल जाती , कुछ पत्थर खा कर, कुछ बच्चो को कुछ फल ही मिल जाते.  रेगिस्तान में बहुत सुखा होता जमीन इतनी गरम होती है, की सब कुछ जला देती है. अरमान, सपने, प्यार, सब है मेरे पास, लेकिन सब जला हुआ है.

कोई थोड़ा पानी डाल देगा क्या.......

4 comments:

दिलीप said...

waah ek ped ki vyatha aur uska manvikaran...bahut khoob...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

सब अपने जीने की राह बना ही लेते हैं..

Shikha Deepak said...

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता.......
इस तेज़ धार कलम कि स्याही में रूमानी रंग भी हैं पता ही नहीं था।

Puneet said...

umda........ kya dil ki gehraiyo se apne zazbat ko udela hai aapney...