Friday, April 9, 2010

प्यार का पहला ख़त लिखने मे, वक़्त तो लगता है,

प्यार का पहला ख़त लिखने मे, वक़्त तो लगता है,
नए परिंदे को उडने में, वक़्त तो लगता है.
जिस्म की बात नहीं  थी, उनके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने मे, वक़्त तो लगता है.
हमने इलाजे जख्मे दिल तो ढूंढ लिया लेकिन,
गहरे जख्मो को भरने मे, वक़्त तो लगता है.
गाँठ अगर लग जाये तो फिर, रिश्तें हो या डोरी,
लाख करो कोशिश , खुलने मे वक़्त तो लगता है.

------हस्ती

4 comments:

Unknown said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Udan Tashtari said...

शायर का नाम साथ में दे दें तो बेहतर (Hasti)

neelima garg said...

nice gajal by jagjit singh...

Dev said...

very nice