Thursday, August 5, 2010

चरित्रहीन

सारा जमाना उसे इसी नाम से जानता था. वो देखो जा रहा है....... चरित्रहीन.

 उसका कसूर ये था की वो प्यार करता था. दूसरों की  तकलीफ मे उसकी आँख नम होती थी. रात या दिन , सुबह या शाम,,,, ये नहीं देखा उसने. कहीं हो जलता मकान, उसे अपना घर लगता था. वो लुटा हुआ था, किसी ने उसके अंदर झांकने की भी तकलीफ न उठाई. बस चरित्रहीन करार दे दिया. उसने कभी अपनी ज़िन्दगी, अपने लिए नहीं जी. लेकिन वो चरित्रहीन है...... क्योंकि वो प्यार करता है............... प्यार बांटता है. उससे दूर रहो............... ये हिदायत है गाँव वालों को. कितना आसान है न किसी की तरफ  उंगली  उठाना. लेकिन आज भी जब कहीं तकलीफ है, वो सुनता है, तो सब से पहले पहुँचने वालों मे वो ही होता है.  क्योंकि वो चरित्रहीन है. उसके पास अब खोने के लिए कुछ नहीं बचा.

उसको गाँव मे रहने की इजाज़त नहीं है. वो अब गाँव से बाहर शिव मंदिर मे रहता है. क्या खाता है , क्या पीता है, भगवान् ही जाने. अपनी धुन मे रहता है. मैने एक दिन उस से बात करने की इच्छा प्रकट की, तो बोला...... अरे , मुझसे दूर रहो, क्योंकि मै चरित्रहीन हूँ. जानते नहीं हो क्या. क्यों बैठे बैठाये आफत मोल लेना चाहते हो.

मै तुम को समझना चाहता हूँ.

मुझको.......................?

हाँ तुमको.......

अरे......... मेरे बारे मे जानना हो तो गोपाल से पूंछो, श्रीमती जी से पूंछो. मेरे बारे मे वो लोग सब जानते है. राम और कृष्ण से पूंछो.

नहीं............. मुझे तुम से जानना है.

क्या जानना चाहते हो ?

तुम को सब गालियाँ देते हैं. फिर भी तुम सब के साथ खडे दिखते हो?

तो क्या करूँ?

विद्रोह क्यों नहीं करते?

विद्रोह............? किसके खिलाफ?

जो तुमको गालियाँ देते है.

नादान हो. वो सब मेरे शुभचिंतक हैं, मेरे प्रिय हैं. देखने का नजरिया बदलो. मुझे याद है जब हालातों के बहाव ने मुझे डुबो दिया था, तब एक भला इंसान मिला,  जिसने मेरे जख्मो पर हमदर्दी और प्रेम का मरहम लगाया. और मुझे खत्म होने से बचा लिया. और खेल देखो उपर वाले का , की जब मुझे होश आया तो वो भी मुझे छोड़ कर चल दिया. अब मै अकेला हूँ. न आगे नाथ, न पीछे पगहा, बीच बाज़ार मे नाचे गदहा. इस का भी अपना आनंद है.

मुझे प्रेम है उपर  वाले से. क्योंकि उसके पास मेरे लिए इतनी निराली निराली दवाएं है. .... जो एक अजीब सुख का अनुभव कराती हैं मुझको. क्या इतनी दया कम है उसकी मेरे उपर , की आज भी मै अपने धर्म से पीछे नहीं हटता.

आप अजीब हो....?

नहीं ..... मै प्रेमी हूँ. इसलिए चरित्रहीन हूँ.

मुझसे दूर रहो.

1 comment:

vandana gupta said...

नहीं ..... मै प्रेमी हूँ. इसलिए चरित्रहीन हूँ.
वाह्………………कितनी गहरी बात कितनी सहजता से कह दी।