तो कहाँ थे साहब इतने साल ? सुंदर लाल का सवाल।
आनंद के चेहरे पे अजीब सा भाव।
नहीं बताना चाहते हो तो कोई जबरदस्ती नहीं है। परिस्थिति को परखते हुए सुंदर ने बात खत्म कर दी।
कल से हर आदमी यही जानना चाहता है सुंदर, तुम कोई पहले नहीं हो। ज़रा ठहरो , मैं तैयार होके आता हूँ, रास्ते चलते बाते करेंगे , रास्ता भी कट जाएगा।
लेकिन जाना कहाँ है ?
स्कूल।
ओह हाँ। ठीक है आओ.
सुंदर ने बिना समय गवाए चाय पीना शुरू किया। और मालिन माँ २ प्लेट में पोहा रख गयीं।
आनंद सफ़ेद शफ़्फ़ाक़ धोती कुर्ते में। सुंदर ने उसे देखा और कसम से देखता ही रह गया। तुम्हारे इस नए पहनावे को देखकर इतना तो विश्वास से कह सकता हूँ कि तुम किसी गलत जगह नहीं गए थे। लेकिन बुरा मत मानना इस नए पहनावे को देखकर ये उत्कंठा अवश्य जाग रही है कि तुम थे कहाँ।
आओ नाश्ता कर लें। आनंद ने कहा। भाई भवाली के पास नल - दमयंती ताल का नाम सूना है ?
हाँ , है तो।
वहीँ जंगलों के बीच एक पुराना शिव का मंदिर है। वहीं रहा लगभग ६ महीने।
मंदिर में ?
हाँ।
और खाना पीना ?
आनंद मुस्करा दिया।
इस मुस्कराहट का अर्थ ?
भाई कुछ दिन तो वाकई कंद मूल फल खा कर रहा , फिर आसपास के गाँव वाली कुछ महिलायें जो जंगल में लकड़ी इकठी करने आती थीं , वो मंदिर में बैठकर कुछ आराम करती थीं और जो खाना वो अपने लिए लातीं थीं , उसमें से थोड़ा मुझे भी दे देती थीं।
फिर ?
इस तरह कुछ दिन चला फिर मैं भिक्षा मांगने के लिए गाँव में निकल पड़ा।
क्या कह रहे हो ?
हाँ सुंदर। दाढ़ी और बाल बढ़ ही गए थे। गले में रुद्राक्ष की माला और गेरुवा कपड़े। इसी वेशभूषा पर कोई न कोई खाना दे देता था और कोई चाय पानी।
तो मंदिर में करते क्या थे ?
आनंद ने नाश्ता खत्म किया और उठ खड़ा हुआ , चलो स्कूल चलते हैं। दोनों निकल पड़े स्कूल के रास्ते पर। तुम पूछ रहे थे न सुंदर कि मंदिर मैं क्या करता था। भाई मेरे मंदिर में कोई क्या करता है ?
लेकिन पूजा पाठ तो तुम करते नहीं
ध्यान तो करता हूँ।
हम्म्म्म और खर्चा पानी ? यहां से तो तुम मंगवाते नहीं थे।
सुंदर मंदिर में जो गाँव की औरतें आराम करने के लिए आतीं थी , उनसे मैंने बताया कि मैं बच्चो को पढ़ा सकता हूँ। और भिक्षा के लिए जब गांव जाता था तो ४ -५ बच्चे आ जाते थे , पढ़ने के लिए। उनको पढ़ा कर जो मिल जाता था काफी था। लेकिन सुंदर इन ६ महीनो में जो अनुभव हुए हैं उन्होंने मुझको खुद से जोड़ने में बहुत अहम् रोल अदा किया है। इन ६ महीनों में मैंने अपने आप को अंदर से प्रज्वालित करने की कोशिश की है।
संन्यास का इरादा तो नहीं है ?
आनंद के चेहरे पे अजीब सा भाव।
नहीं बताना चाहते हो तो कोई जबरदस्ती नहीं है। परिस्थिति को परखते हुए सुंदर ने बात खत्म कर दी।
कल से हर आदमी यही जानना चाहता है सुंदर, तुम कोई पहले नहीं हो। ज़रा ठहरो , मैं तैयार होके आता हूँ, रास्ते चलते बाते करेंगे , रास्ता भी कट जाएगा।
लेकिन जाना कहाँ है ?
स्कूल।
ओह हाँ। ठीक है आओ.
सुंदर ने बिना समय गवाए चाय पीना शुरू किया। और मालिन माँ २ प्लेट में पोहा रख गयीं।
आनंद सफ़ेद शफ़्फ़ाक़ धोती कुर्ते में। सुंदर ने उसे देखा और कसम से देखता ही रह गया। तुम्हारे इस नए पहनावे को देखकर इतना तो विश्वास से कह सकता हूँ कि तुम किसी गलत जगह नहीं गए थे। लेकिन बुरा मत मानना इस नए पहनावे को देखकर ये उत्कंठा अवश्य जाग रही है कि तुम थे कहाँ।
आओ नाश्ता कर लें। आनंद ने कहा। भाई भवाली के पास नल - दमयंती ताल का नाम सूना है ?
हाँ , है तो।
वहीँ जंगलों के बीच एक पुराना शिव का मंदिर है। वहीं रहा लगभग ६ महीने।
मंदिर में ?
हाँ।
और खाना पीना ?
आनंद मुस्करा दिया।
इस मुस्कराहट का अर्थ ?
भाई कुछ दिन तो वाकई कंद मूल फल खा कर रहा , फिर आसपास के गाँव वाली कुछ महिलायें जो जंगल में लकड़ी इकठी करने आती थीं , वो मंदिर में बैठकर कुछ आराम करती थीं और जो खाना वो अपने लिए लातीं थीं , उसमें से थोड़ा मुझे भी दे देती थीं।
फिर ?
इस तरह कुछ दिन चला फिर मैं भिक्षा मांगने के लिए गाँव में निकल पड़ा।
क्या कह रहे हो ?
हाँ सुंदर। दाढ़ी और बाल बढ़ ही गए थे। गले में रुद्राक्ष की माला और गेरुवा कपड़े। इसी वेशभूषा पर कोई न कोई खाना दे देता था और कोई चाय पानी।
तो मंदिर में करते क्या थे ?
आनंद ने नाश्ता खत्म किया और उठ खड़ा हुआ , चलो स्कूल चलते हैं। दोनों निकल पड़े स्कूल के रास्ते पर। तुम पूछ रहे थे न सुंदर कि मंदिर मैं क्या करता था। भाई मेरे मंदिर में कोई क्या करता है ?
लेकिन पूजा पाठ तो तुम करते नहीं
ध्यान तो करता हूँ।
हम्म्म्म और खर्चा पानी ? यहां से तो तुम मंगवाते नहीं थे।
सुंदर मंदिर में जो गाँव की औरतें आराम करने के लिए आतीं थी , उनसे मैंने बताया कि मैं बच्चो को पढ़ा सकता हूँ। और भिक्षा के लिए जब गांव जाता था तो ४ -५ बच्चे आ जाते थे , पढ़ने के लिए। उनको पढ़ा कर जो मिल जाता था काफी था। लेकिन सुंदर इन ६ महीनो में जो अनुभव हुए हैं उन्होंने मुझको खुद से जोड़ने में बहुत अहम् रोल अदा किया है। इन ६ महीनों में मैंने अपने आप को अंदर से प्रज्वालित करने की कोशिश की है।
संन्यास का इरादा तो नहीं है ?
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