अब तुमने मना किया कि वो तीन सवाल न पूछे जाएँ तो नहीं पूछतीं हूँ। लेकिन ये तो जान सकती हूँ कैसी रही यायावरी ? क्योंकि तुम्हारा स्वभाव एक जगह टिक के रहने का तो है नहीं , इसलिए ये सवाल तो लाज़मी है।
बिलकुल लाज़मी है। लेकिन इसका जवाब क्या दूँ। किसी से हम मिले नही किसी से दिल मिला नहीं। सिगरेट का एक लंबा कश ले कर आनंद का जवाब। लेकिन एक बात बताऊँ ज्योति, इस घुम्मकड़ स्वभाव ने बहुत दुनियाबी बना दिया। समझ में तो आया कि दुनिया में रहना है दिल नहीं दिमाग का भी इस्तेमाल करना चाहिए और ज़्यादा करना चाहिए।
चलो देर से ही सही तुम्हारी समझ में ये तो आ गया। ज्योति ने एक संतोष की सांस ले कर कहा।
लेकिन मोहतरमा एक बात और जान लीजिये लगे हांथो कि जीत कह लो या संतोष, वो उन्हीं को होता है जो दिल की सुनते हैं। हाँ उनको सफर बहुत करना पड़ता है। लेकिन शायद ये भी नियति का निर्धारण होता है कि कौन दिमागी होगा और कौन दिल वाला। दिमाग वालों के पास पद , पैसा , गाडी , बँगला होता है।
और दिल वालों के पास। ...... ज्योति का प्रश्न
दिल वालों के पास......
गम मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
एक दिल दे कर ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे।
हम्म्म्म। ........
ये गाने और ढोलक की थापों की आवाज़ कहाँ से आ रही है, आनंद ने दरवाजे के ओर देखते हुए पूछा।
अरे वो जनार्दन के घर में जलसा है। उसकी बेटी का रोका है , लड़के वाले आये हैं। मुझे भी जाना है , तुम चलोगे ? ज्योति का आनंद से अनअपेक्षित सवाल। आनंद ने ज्योति की तरफ ऐसे देखा जैसे "क्या कह रही हो तुम" .
नहीं।
वो तो मुझे मालूम है।
अरे जब मैं invited नहीं हूँ तो कैसे जाऊं। और रोका है , शादी होती तो छुपते छुपाते घुस जाता और खाना खा के चला आता।
अच्छा जी। जैसे वो आपको आने देते इतनी आसानी से। देवकी की १० वी में 2nd पोजीशन आने में किसका हाथ था , किसकी मेहनत थी , वो जब उसको पता चला , तो जमीन में गड़ के रह गया। घर आया था , मां से कह रहा था कि आनंद बाबू ने बिटिया को अव्वल नंबर लाने के लिए अपने कर दिए और मैं सरे पंचायत उनका अपमान कर आया।
Really !! लेकिन देवकी के रिजल्ट के वजह से ही दूर दराज गाँवों के बच्चे स्कूल आने लगे।
हमारे जुनु का नतीजा जरूर निकलेगा
इसी स्याह समुन्दर से नूर निकलेगा।
बिलकुल लाज़मी है। लेकिन इसका जवाब क्या दूँ। किसी से हम मिले नही किसी से दिल मिला नहीं। सिगरेट का एक लंबा कश ले कर आनंद का जवाब। लेकिन एक बात बताऊँ ज्योति, इस घुम्मकड़ स्वभाव ने बहुत दुनियाबी बना दिया। समझ में तो आया कि दुनिया में रहना है दिल नहीं दिमाग का भी इस्तेमाल करना चाहिए और ज़्यादा करना चाहिए।
चलो देर से ही सही तुम्हारी समझ में ये तो आ गया। ज्योति ने एक संतोष की सांस ले कर कहा।
लेकिन मोहतरमा एक बात और जान लीजिये लगे हांथो कि जीत कह लो या संतोष, वो उन्हीं को होता है जो दिल की सुनते हैं। हाँ उनको सफर बहुत करना पड़ता है। लेकिन शायद ये भी नियति का निर्धारण होता है कि कौन दिमागी होगा और कौन दिल वाला। दिमाग वालों के पास पद , पैसा , गाडी , बँगला होता है।
और दिल वालों के पास। ...... ज्योति का प्रश्न
दिल वालों के पास......
गम मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
एक दिल दे कर ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे।
हम्म्म्म। ........
ये गाने और ढोलक की थापों की आवाज़ कहाँ से आ रही है, आनंद ने दरवाजे के ओर देखते हुए पूछा।
अरे वो जनार्दन के घर में जलसा है। उसकी बेटी का रोका है , लड़के वाले आये हैं। मुझे भी जाना है , तुम चलोगे ? ज्योति का आनंद से अनअपेक्षित सवाल। आनंद ने ज्योति की तरफ ऐसे देखा जैसे "क्या कह रही हो तुम" .
नहीं।
वो तो मुझे मालूम है।
अरे जब मैं invited नहीं हूँ तो कैसे जाऊं। और रोका है , शादी होती तो छुपते छुपाते घुस जाता और खाना खा के चला आता।
अच्छा जी। जैसे वो आपको आने देते इतनी आसानी से। देवकी की १० वी में 2nd पोजीशन आने में किसका हाथ था , किसकी मेहनत थी , वो जब उसको पता चला , तो जमीन में गड़ के रह गया। घर आया था , मां से कह रहा था कि आनंद बाबू ने बिटिया को अव्वल नंबर लाने के लिए अपने कर दिए और मैं सरे पंचायत उनका अपमान कर आया।
Really !! लेकिन देवकी के रिजल्ट के वजह से ही दूर दराज गाँवों के बच्चे स्कूल आने लगे।
हमारे जुनु का नतीजा जरूर निकलेगा
इसी स्याह समुन्दर से नूर निकलेगा।
No comments:
Post a Comment