Tuesday, March 29, 2016

कभी किसी रोज़ यूँ भी होता . . . . . . 8

लेकिन आनंद आपकी दुआ के लिए मेरे हाथ हमेशा उठे।

ये तो मेहरबानी है आप की लेकिन अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूं।

बोलिए  .  .

One hand which comes for help is better then 100 hands raised in prayers. मुझे याद हैं वो दिन , समाज ने मेरे बहिष्कार सा  कर  दिया था, मेरे पास आ कर लोगों ने अपने घर आने से मना कर दिया था. जानती हो क्यों ? क्योंकि लोगों ने मुझसे कोई बात नहीं clear करी।  किसी ने कहा ,किसी ने सुना और किसी ने विश्वास कर लिया।
राधा,
अपने दिल की किसी हसरत का पता देते हैं ,
मेरे बारे में जो अफ़वाह उड़ा देते हैं।

अफवाहों का शिकार आदमी कैसे होता है , मैँ दो-चार हुआ हूँ इस चीज़ से।  Joker तो जानती हो न।  शुरू -शुरू में बच्चों के चेहरे पे उदासी और ख़ामोशी कैसे कलेजा चीरती थी , मैने महसूस किया है। उनको हँसाने के लिए उनके सामने नाचना , उल्टी सीधी  हरकते करना , उनके साथ खेलना और जानबूझ कर  हारना , सब किया मैंने।  दर्द और चोट को सीने में रखते हुए ,मुस्कराना , आज भी करता हूँ और अब  तो इस कला में महारत हासिल कर ली है।     

हालत कुछ ऐसे हो गए थे , आनंद।

मैं तुमको या किसी और को दोष नहीं दे रहा हूँ।  अगर ये वक़्त न आता तो मुझे अपनी ताक़त का अंदाजा न हो पाता। I am grateful to all who refused to help me, because of that I could do it myself.
लेकिन

हमारे क़त्ल की साज़िश तो दुश्मनों ने की ,
मगर कहीं कहीं तुम्हारा भी नाम आता है।


फिर ख़ामोशी।

मंदिर में आरती खत्म हो चुकी थी।  शान्ति: शान्ति: शान्ति:

तभी अंजलि प्रकट हुई और चुटकी लेती हुई बोली , चाय रख दूँ अगर आप लोगो के बीच की ख़ामोशी भंग न हो।
आप लोग बात नहीं करते हो या खामोश रह कर  बात करते हो।  समझ में नहीं आता।

चुप रह , ज़्यादा समझने की कोशिश मत कर।  राधा ने अंजलि के सर पर हलके से मारते हुए कहा।

अंदर चलो बाबा बुला रहें हैं।  बाहर ठंड बढ़ रही है , लेकिन आप लोगों तो पता ही नहीं चला होगा।  अंजलि ने फिर चुटकी ली।

चल चाय अंदर ही रख दे , वहीँ आते हैं।

तीनो लोग अंदर कमरे में आ गये।

आओ बेटा  . . . . पंडित जी का आत्मीय स्वर। आज ये मंदिर कितना चहक रहा है।

जाड़े की शाम , अदरक और तुलसी की चाय ,अपनों का साथ , वो कहते हैं न  . . . .

हांथ में शराब , बगल में शबाब ,
जन्नत इसके आगे खत्म।

बाबा कुछ दिन यहीं मंदिर में रुक सकता हूँ ? आनंद का आग्रह पूर्ण सवाल।

कुछ दिन क्यों ? जितने दिन रुकना है उतने दिन रुक।

बाबा मैं खाना भिजवा दूंगी , आप मत बनाना। चाय खत्म करके कप नीचे रखते हुए राधा ने कहा।  अभी चलती हूँ।

ठीक है बिटिया। पंडित जी राधा से।

घर आना आनंद। राधा आनंद से।
                                                                                                                                 क्रमश:




 




   

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