Monday, March 21, 2016

कभी किसी रोज़ यूँ भी होता . . . . . . 5

नहीं मेरी मुलाक़ात नहीं हुई , राधा  से.

हालांकि आनंद के इस जवाब पर पंडित जी और अंजलि हल्क़े से चौंके ज़रूर , लेकिन अब सब कुछ पहले जैसा नहीं था , इसलिए कुछ पूँछा नहीं।  और पूँछते भी तो क्या ? वो दोनों तो प्रत्यक्ष गवाह थे और हर चीज़ से आगाही थी उनको।  और कौन सी नयी चीज़ हुई थी ,

यूँ तो हर रिश्ते का अंजाम यही होता है ,
फूल खिलता है , महकता है बिखर जाता है।

अब तो यही रहोगे ? पंडित जी का आनंद से प्रश्न।

आनंद मुस्कराया और बोला पंडित जी :-

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं ,
रुख हवाओं का जिधर का है , उधर के  हम हैं।

अच्छा लग रहा था यूँ आनंद का, धीरे धीरे ही सही लेकिन अपने आपमें लौटना।

हाँ अभी तो यही हूँ।

काम काज क्या कर रहा है आज कल ?

अभी तो कुछ नहीं. लेकिन अब सोचा है की जो थोड़ी बहुत जमीन पड़ी है उसमें कुछ खेती-बाड़ी करूँ।

ख्याल अच्छा है।

दोपहर हो चली थी , आनंद सवेरे का निकला हुआ था।

अच्छा पंडित जी अब आज्ञा दीजिये , चलता हूँ।

ठीक है बेटा। शाम को आरती के वक़्त आना।

आनंद ने पंडित जी की तरफ देखा , मुस्कराया और विदा ली।

आनंद  . .  ..  . रामदीन आया था।  मालिन माँ का सूचना देता हुआ स्वर।

अच्छा। कैसे  आया ?

कैसे मतलब ? उसको पता चला की तू आया है , सो मिलने आया था।

खाना बन गया है। अगर तू अभी खाए तो परस दूँ , नहीं तो मैं जरा हाट तक जा रही हूँ।  घंटा भर लगेगा।

लौट आओ तभी खा लूंगा।

आनंद बरामदे में पड़ी आराम कुर्सी पर ही बैठ गया। हालाँकि सर्दी की ठंडी हवा शूल की तरह चुभ रही थी। उसने एक चुरुट निकाली और धुआँ ही धुआँ। पंडित जी का शाम की आरती में आने का न्यौता।  जाउँ मैं  या न जाउँ। आनंद उठा और कमरे मैं जा कर सो गया।  उठा  . . . . .  तो सूरज पश्चिम की तरफ काफी दूर निकल गया था.

दीदी  . . . .  . दरवाजे पर आवाज़ सुनकर राधा ने दरवाज खोला और अंजलि को देख कर खुश हुई    . . .   अरे आज दीदी की याद कैसे आ गयी?

दीदी आज शाम आरती के लिए आओगी ?

अंजलि की आवाज़ में ख़ुशी , उत्सुकता , हाँफना सब कुछ ही  था।

अरे क्या हुआ ,पगली कुछ बताएगी भी।

दीदी  . . .  शाम को मंदिर आओ न।

अरे ठीक है  . .  आउंगी ,लेकिन हुआ क्या ,ये तो बता।  बड़ी खुश नज़र आ रही है।

दीदी फ़कीर आया है।

क्या ?????
                                                                                                                                क्रमश:














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