Thursday, January 16, 2020

क्या लेकिन आनंद ? गंगा का सवाल

आनंद २ मिनट खामोश रहा। 

मैंने कुछ पूछा आनंद। 

हाँ सोच रहा हूँ किन किन लेकिन को गिनाऊँ , किन किन लेकिन का जवाब दूँ।  अच्छा चलो यूँ कर लेते हैं।

क्या कर लेते हैं ? By the way

फ़िक्रे दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ। 

मुझे लग रहा था की आप सीधे सीधे जवाब नहीं देंगे। 

वैसे मैं आपको एक बात बताता चलूँ की गंगा से ये मेरी ग़ालिबन पहली मुलाक़ात है लेकिन बात ऐसे कर रहें हैं की पुरानी आशनाई है लेकिन ये भी नहीं लगता की पहली बार मिले।  गोया ये ज़रूर है की नाम से एक दूसरे से आशनाई ज़रूर थी।  मंदिर में बच्चों को पढ़ाते पढ़ाते गंगा का नाम सुना था और ग़ालिबन इसी तरह उन्होंने ने मेरा।  बकौल बशीर बद्र साहब "गुफ़्तगू उनसे रोज़ होती है , मुद्दतों सामना नहीं होता"।

क्या सीधा जवाब दूँ ? और सीधा जवाब कोई हो भी तो। 

आप मंदिर में कब से रह रहे हैं ?

२ महीने हुए।

यहाँ भी उसी कारण आये हैं ?

कौन सा कारण ? ओह वो।  मैं अगर न कहूं तो गलत होगा। 



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