क्या है यार !
क्या है ये जिंदगी। नहीं नहीं कितने बंधनों में बंधी है ये जिंदगी।
नहीं नहीं बंधी नहीं , मैंने खुद बाँध राखी है।
मन करता खुल कर जीने को , खुल कर उड़ने को , जो करना चाहता हूँ , वो करने को , पढ़ने को, लिखने को दौड़ने को भागने , पहाड़ में जाने को
लेकिन
क्या लेकिन आनंद ?
क्या है ये जिंदगी। नहीं नहीं कितने बंधनों में बंधी है ये जिंदगी।
नहीं नहीं बंधी नहीं , मैंने खुद बाँध राखी है।
मन करता खुल कर जीने को , खुल कर उड़ने को , जो करना चाहता हूँ , वो करने को , पढ़ने को, लिखने को दौड़ने को भागने , पहाड़ में जाने को
लेकिन
क्या लेकिन आनंद ?
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