इस घुटन से भरी ज़िन्दगी मे कहो, 
प्यार तेरा ना हो... तो जियें  किस लिए. 
दर्द से अधमरी  , ज़िन्दगी मे कहो, 
प्यार तेरा ना हो... तो जियें किस लिए. 
रात भर बस पपीहा पुकारा करे 
और बेबस गगन को निहारा करे, 
किन्तु कोई ना उससे करे बात कुछ, 
तो कहो दीन किसका सहारा करे. 
झूलती झांझरी ज़िन्दगी मे कहो, 
प्यार तेरा ना हो... तो जियें किस लिए. 
प्रोफ. सुरेश चंद्रा. 
 
 
1 comment:
सोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को ... दिल छु लेने वाली रचना ...
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