Thursday, February 4, 2010

क्या जवाब है इसका

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सम्हलते क्यों हैं,
इतना डरते हैं, तो फिर घर से निकलते क्यों हैं।
मैं न जुगनू हूँ, न दिया हूँ, न कोई तारा हूँ,
रौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं।

2 comments:

डिम्पल मल्होत्रा said...

beautiful..किसी ने जुगनू जगा के छोड़ दिए..खुद छुप के देख रहा है जैसे...

Devatosh said...

Thank you, Dimple.