Friday, February 26, 2010

मैं कहूंगा तो रूठ जाओगे.....

यहाँ हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है,
खिलौना है जो मिटटी का, फ़ना होने से डरता है.
मेरे दिल के किसी कोने एक मासूम सा बच्चा,
बड़ो को देख कर दुनिया में, बड़ा होने से डरता है.
न बस मे जिन्दगी उसके, न काबू मौत पर उसका,
मगर इंसान फिर भी कब खुदा होने से डरता है.
अजब ये जिन्दगी कि कैद है, दुनिया का हर इंसा,

रिहाई माँगता है, और रिहा होने से डरता है.

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