"भारत रत्न" बहुत बड़ा पुरस्कार है, जानते हो न , सुंदर लाल। बिलकुल ठीक पहचाना। बड़े बड़े काम करने वालो को मिलता है ये। अब ये बड़ा काम क्या है, ये मेरी समझ मे आजतक नहीं आ पाया। अपनी जान पे खेलकर दूसरों की जान बचाना, एक बड़ा काम है। दूसरों के इलज़ाम अपने सर ले लेना , ये भी कम बड़ी बात नहीं है। अपने देश का नाम दुनिया मे रोशन करना, वाकई काफी बड़ा काम है।
लेकिन सुंदर लाल , एक बात बताओ...... हमारे देश मे जहाँ हर तरफ भ्रष्टाचार रग रग में समाया हुआ हैं, हमारा दूसरा स्वभाव बन गया है। हम अपना, असली स्वभाव तो खैर भूल ही गए हैं। मै ईमानदार हूँ, ये कहने मे शर्म, और मै बेईमान हूँ, ये सोचने में, वक़्त के साथ चलने वाला लगता हूँ। जहाँ महंगाई आसमान फाड़ कर उस से भी आगे निकल जाने को बेकरार है, जहाँ जिस अपराधी को पुलिस वाले जेल में बंद करते हैं और कुछ सालो बाद उसी को सलाम करते हैं, क्योंकि वो एक नेता या मंत्री बन जाता है। जहाँ स्वार्थ के लिए अपने अपनों को दगा देते हैं, ........ ऐसे देश मे, ऐसे माहौल में, अगर मैं अपने परिवार के साथ रह रहा हूँ और खुश भी दिखता हूँ । अरे............ में ये तो बताने भूल ही गया कि मेरे दो बेटियाँ हैं और उनके साथ में खुश रहता हूँ, दिल में डर ले कर भी, रात को सो जाता हूँ। तो क्या मैं भारत रत्न का हक़दार नहीं है??? कल सड़क पर एक गिलास पानी पिया तो उसने एक रुपए माँगा । मैने कहा भाई, ये तो बहुत महँगा है। तो उसने कहा बाबूजी, मेरा खून ले लो, आज कल सब से सस्ता वही है। और मैं चुप।
अरे.............. सुंदर लाल तुम तो सोच में पड़ गए । भाई, मैं तो अपने दिल कि बात कह रहा हूँ। कभी कभी मैं सोचता हूँ कि राजनीति में चला जाऊं, लेकिन ईमान को बेचना मेरे माँ-बाप ने सिखाया ही नहीं। और इसके बिना राजनीति नहीं होती। मेरे बच्चे जब सवेरे स्कूल जाते हैं तो मै गौर से उनको देखता हूँ, इस उम्मीद मै कि शाम को वे मुझे या मैं उन्हे देख पाऊं या नहीं, अरे भाई मै निराशावादी नहीं हूँ, लेकिन माहौल ऐसा है कि ....... राम राम ......
अच्छा........ अब बताओ, देखो भाई, इमानदारी से बताना कि क्या मैं भारत रत्न नहीं हूँ......... या भारत रत्न का हक़दार नहीं हूँ.... हर चीज़ जहाँ पैसो से नापी जाती , यहाँ तक कि आदमी कि इज्ज़त भी, वहां मैं अपनी दो बेटियों और पत्नी के साथ रहता हूँ और दो टाइम का खाना भी मिल जाता है। तो क्या मैं भारत रत्न का हक़दार नहीं हूँ.......
यहाँ हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है,
खिलौना है जो मिटटी का फ़ना होने से डरता है।
अजब कैद है ये दुनिया, यहाँ पर हर इंसा,
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है।
मैं भी भारत रत्न हूँ..................... सरकार माने या न माने.
1 comment:
bharat ratn paney k liye aam aadmi hona subse bada dis-qualification hai.. iske ;iye hume koi neta/khiladi/movies star/hotelier yea in subse badh kar media ka dulara hona chahiye...
kuki aaj ke daur mein media he ek aisa madhyam hai jo apki karni (chahe wo bataney layak na bhi ho ) ko zor-shor se duniya k samney pesh karta hai.. aur aapka ek naya aur anjana roop duniya k samney aata hai..
phir log sochney lagtey hai k ye shayad sach mein koi bahut mahan type ki hsati hai jiske bare mein unhe ab tuk pata nahi tha... aur apke bare mein kuch jayada jan-ney ki kosish mein wo aur logo tuk apka nam pahuchatey rahtey hai..
i mean YEN-KEN PRAKA-REN apka nam logo ki zuban par aa jata hai aur aap bhi "BHARAT RATN" ka davedar ban sakte hai..
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