तुम तो जानती ही हो....की हार न मानने की मेरी फितरत है.... चाहे जो हो जाए....लेकिन एक बात बताऊँ तुमको....कठिन समय ही अपने और गैरों की पहचान करवाता है....जब हम सफल होते हैं, तो हमारे दोस्तों को पता चलता है की हम कौन हैं....और जब हम असफल होतें हैं..तो हमको पता चलता है की हमारे दोस्त कौन हैं.....
मैं हार मानु तो किस से...वक़्त से......????
वक़्त तो हर वक़्त बदलता है.....वक़्त के साथ यही तो खूबी है....की गुजर जाता है...अच्छा हो या बुरा..गुजर जाता है.....
या हार मानु इस दुनिया के लोगों से.......इनकी तो फितरत है....दूसरों की आग पर रोटियां सेंकना...इन्होने किस को बक्शा है....बोलो तो..?
ऐसा क्यों होता है..की जब हम दूसरों पर एक ऊँगली उठाते हैं....तो तीन उंगलियाँ हमारी खुद की तरफ इशारा कर रही हैं..ये क्यों भूल जाते हैं....हम ये क्यों भूल जाते हैं...
लेकिन तुम ने तो किनारा कर ही लिया है...अच्छा किया...... It is better to safe then sorry....मानती हो ना......
जिन्दगी कि यही ख़ूबसूरती है.....कि पहले इम्तिहान लेती है...फिर पाठ सीखाती है.... और मैं भी अपनी जिद का पक्का हूँ....जब तक मंजिल पर नहीं पहुंचता, तब तक रुकुंगा नहीं...
इस तरह तय की हमने मंजिलें...
गिर पड़े, गिर कर उठे, उठ कर चले....
नदी कि धार के साथ तो कोई भी तैर सकता है....मज़ा तो तब है, जब हर तरफ से मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा हो...और धार के विपरीत तैरना हो....मैं तैरूँगा....मेरे उपर मेरे मालिक का हाँथ है....मै तैरूँगा.....कितनी खोखली है ये दुनिया और ये दुनिया वाले....
जिस समय किसी को वाकई सहारे कि जरूरत हो..तब उसके आसपास कोई नहीं होता....वो भी जिनको दावा था....खैर....दुनिया है ये.
लेकिन मेरे मालिक, इनको सदबुद्धि दे.. इनको सीखा कि जो पयाम तुने दिया है..हर कठिन वक़्त सब का इम्तिहान लेता है...कि किसने कितना पाठ,खाली पढ़ा और किसने उसको जीवन में उतार लिया.....
या मेरे मौला....मुझे ताकत दे.....कि इन दुनिया वालों का सामना करते हुए..तुझ तक पहुंचू....और पहुंचूं जरूर.....सब कि सलामती कि दुआ के साथ आज बस इतना ही.....
मैं हार मानु तो किस से...वक़्त से......????
वक़्त तो हर वक़्त बदलता है.....वक़्त के साथ यही तो खूबी है....की गुजर जाता है...अच्छा हो या बुरा..गुजर जाता है.....
या हार मानु इस दुनिया के लोगों से.......इनकी तो फितरत है....दूसरों की आग पर रोटियां सेंकना...इन्होने किस को बक्शा है....बोलो तो..?
ऐसा क्यों होता है..की जब हम दूसरों पर एक ऊँगली उठाते हैं....तो तीन उंगलियाँ हमारी खुद की तरफ इशारा कर रही हैं..ये क्यों भूल जाते हैं....हम ये क्यों भूल जाते हैं...
लेकिन तुम ने तो किनारा कर ही लिया है...अच्छा किया...... It is better to safe then sorry....मानती हो ना......
जिन्दगी कि यही ख़ूबसूरती है.....कि पहले इम्तिहान लेती है...फिर पाठ सीखाती है.... और मैं भी अपनी जिद का पक्का हूँ....जब तक मंजिल पर नहीं पहुंचता, तब तक रुकुंगा नहीं...
इस तरह तय की हमने मंजिलें...
गिर पड़े, गिर कर उठे, उठ कर चले....
नदी कि धार के साथ तो कोई भी तैर सकता है....मज़ा तो तब है, जब हर तरफ से मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा हो...और धार के विपरीत तैरना हो....मैं तैरूँगा....मेरे उपर मेरे मालिक का हाँथ है....मै तैरूँगा.....कितनी खोखली है ये दुनिया और ये दुनिया वाले....
जिस समय किसी को वाकई सहारे कि जरूरत हो..तब उसके आसपास कोई नहीं होता....वो भी जिनको दावा था....खैर....दुनिया है ये.
लेकिन मेरे मालिक, इनको सदबुद्धि दे.. इनको सीखा कि जो पयाम तुने दिया है..हर कठिन वक़्त सब का इम्तिहान लेता है...कि किसने कितना पाठ,खाली पढ़ा और किसने उसको जीवन में उतार लिया.....
या मेरे मौला....मुझे ताकत दे.....कि इन दुनिया वालों का सामना करते हुए..तुझ तक पहुंचू....और पहुंचूं जरूर.....सब कि सलामती कि दुआ के साथ आज बस इतना ही.....
1 comment:
दुआ कबूल होगी।
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