Tuesday, November 16, 2010

ये ब्लॉग..... धोखा और विश्वास्घातकों के नाम.....

ये ब्लॉग..... धोखा और विश्वास्घातकों के नाम.....

क्या करूँ..... मेरी उल्टी खोपड़ी है...... विश्वास और विश्वास करने वालों के उपर तो अनेक ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं. लेकिन इन बेचारे  विश्वास्घातकों के बारे में कोई कुछ नहीं कहता..... सब गालियाँ देते है , कोसते हैं..... ठीक है वो काम ही ऐसा करते हैं..... लेकिन वो दया के पात्र हैं......आप का पता नहीं.... लेकिन मुझे दया आती उन पर..... इसलिए ये ब्लॉग उनको समर्पित है.....

सुनो बंधुओं..... ये जो विश्वासघातक है... ये एक विशिष्ट प्रकार की निम्न श्रेणी मे आते है. इनसे नीचे  श्रेणी नहीं होती या यहाँ पर श्रेणी खत्म हो जाती है. ये देखने मे काफी सभ्य और सु-संस्क्रत लगते है. और विनम्रता इनका आभूषण होता है..... या यूँ कह लीजिये विनम्रता इनका हथियार होता है. ये इतनी बारीकी से वार करते  हैं..... की चोट खा ने वाला काफी समय तक तो समझ ही नहीं पाता की ये वार उसका ही है.

अब जरा सोचिये..... ईसा मसीह अपने बारह चुनिंदा शिष्यों के साथ भोजन कर रहे हैं..... एक शिष्य आता है... घुटनों के बल बैठता है... और उनका हाँथ अपने हाँथ मे लेकर चूमता है.......बस.... तभी सिपाही आते है..... और ईसा मसीह गिरफ्तार..... कितना फ़िल्मी प्लाट है.... लेकिन सत्य है. ...... अब , अगर कोई आप के सामने घुटनों पर बैठ कर , आप का हाँथ चूमता है...... तो आप क्या करेंगे या करेंगी........ या तो उसके मुँह  पर झनाटेदार थप्पड़ रसीद करेंगी या अपनी इज्ज़त आफजाई समझेंगी..... लेकिन ...... उसका अगला कदम क्या होगा......... उफ , अल्लाह, अब ये भी क्या मै ही  बताऊँ....?

सीन नंबर. २...... चलिए छोड़िए...... सीन नंबर २ या ३ गिनाने के बाद ऐसा तो नहीं है की विश्वासघात हुआ नहीं या होना बंद हो गया. ये तो होता रहा है और होता रहेगा .  अगर विश्वासघात ना हो तो : जिस थाली मे खाना, उसी मे छेद करना, वाली कहावत  गलत नहीं हो जायेगी....... ये भी उनका सम्मान है.... की उनके आदर मे भी एक कहावत है. ............ बोलो सही या गलत? लीजिये.... विश्वास्घातकों के आदर मे एक शेर सुनिए और इसपर सोचिये....

तेरे ख़ूलूस ने बरबाद कर दिया ऐ दोस्त,
फरेब खाते तो अब तक सम्हाल गए होते....

अब ये ब्लॉग एक गंभीर   मोड़ ले रहा है.... जरा सम्हाल जाइए..... विश्वासघाती निम्न श्रेणी के होते हैं...... सहमत हैं......ना.

अपने उपर हम सब लोग विश्वास करते हैं और करना भी चाहिए ...... कहीं हम अपने आप से तो विश्वासघात नहीं कर रहे..... अगर हम अपने उपर विश्वास नहीं करते हैं तो...... अगर मुझे अपने उपर विश्वास है और मै उस को  अमल मे नहीं ला रहा हूँ...... तो ये क्या है............... आप सोचिये.... मे एक कप चाय पी कर अभी हाज़िर  हुआ....... तब तक के लिए ख़ुदा हाफ़िज़.

1 comment:

vandana gupta said...

अपने उपर हम सब लोग विश्वास करते हैं और करना भी चाहिए ...... कहीं हम अपने आप से तो विश्वासघात नहीं कर रहे..... अगर हम अपने उपर विश्वास नहीं करते हैं तो...... अगर मुझे अपने उपर विश्वास है और मै उस को अमल मे नहीं ला रहा हूँ......
यहीं तो सारा निचोड है……………तो ग्रंथ कब शुरु कर रहे हैं …………हमे इन्तज़ार रहेगा देखें कब खुद पर विश्वास होता है या कहिये कब खुद से विश्वासघात करते हैं।