आज दो दिन हो गए.... लेकिन आनंद का कुछ पता नहीं....कह के गए थे की दूसरे दिन ही आ जायेंगे. आज मन कुछ खराब है....कुछ उदासी... इस वक़्त आनंद की जरुरत है मुझको........
दीदी.... ये तार आया है. .
तार.....किसका तार. तार के नाम से आज भी मेरे गाँव वाले और में भी काँप जाते हैं....पता नहीं क्या खबर आई है.
लाओ काका....यहीं कमरे में दे दो.
लो दीदी..... तबीयत ठीक नहीं है क्या.....?
हाँ काका....कुछ ढीली है.
किसका तार है बिटिया.......माँ कमरे में घुसीं.
आनंद का.....
क्या हुआ...... सब ठीक तो है ना...?
हाँ ठीक हैं.....लिखा है...की कल दोपहर तक आउंगा. काम नहीं हुआ है अभी.
कौन सा काम....बेटी...?
क्या पता माँ...मुझे भी सारी बाते कहाँ बताते हैं........
तू जाने और आनंद जाने.....चाय पियेगी...मैं बना रही हूँ.
दे दो.....माँ....आधा कप.
पूरी बात ना बताने की आनंद की आदत, ना जाने कब जाएगी. झूठ बोलते नहीं हैं....सच बताते नहीं हैं. किस काम से शहर गए हैं... भगवान् जाने. दीनानाथ से पूंछू .... लेकिन क्या ....की आनंद किस काम से शहर गए हैं....? अगर उनको पता चल गया...की मैने पूंछा था..... तो बुरा लगेगा....उनको. खैर....कल तो आ ही रहे हैं. लेकिन मैं आनंद ही आनंद के बारे मैं क्यों सोचती रहती हूँ......ये मुझे क्या हो रहा है...?
ले बेटी....चाय....और जरा तैयार हो जा.
कहाँ जाना है....माँ?
अरे..... दीनानाथ की बिटिया अव्वल आई है ना....उसने बुलाया है....स्कूल वाले भी आ रहे हैं.
ओहो.....तो शायद इस दावत से बचने के लिए....साहब शहर निकल गए......
अच्छा माँ.....मैं अभी आती हूँ.
नमस्कार...प्रिंसिपल साहब.....
अरे...ज्योति बिटिया....कैसी हो? माता जी कहाँ हैं...?
मैं ठीक हूँ.....माँ...भी आईं हैं.
जरा दर्शन तो करवा दो......
हाँ, हाँ ....आइये.
माँ..... प्रिंसिपल साहब.
अरे नमस्कार प्रिंसिपल साहब ..कैसे हैं आप...? मुबारक हो ..... आप के स्कूल की बिटिया अव्वल आई है जिले में.
शुक्रिया.... माता जी. मुबारक तो आनंद को देनी चाहिए.
आनंद को......???
हाँ...सारी मेहनत और दिशा दर्शन तो उसी का था.
माँ..मेरी तरफ देखने लगी.....मैं क्या बोलती.
अरे...माँ जी ...मिथिला के साथ रात रात बैठ कर उसी ने तो उसको को पढाया. आप से एक प्रार्थना करना चाहता हूँ.....आशा करता हूँ आप निराश नहीं करेंगी....
अरे...ऐसे क्यों कह रहे हैं.... निःसंकोच कहिये.
आप अगर ज्योति बिटिया से कह दे तो वो भी स्कूल में आ कर कुछ योगदान कर दें कुछ दिशा दर्शन कर दें.
हाँथ कंगन को आरसी क्या, पढे-लिखे को फ़ारसी क्या..... यहीं बात कर देती हूँ. ....ज्योति.....यहाँ आ तो बेटी.
क्या हुआ माँ....बेटी....प्रिंसिपल साहब कह रहे हैं...की अगर तू भी स्कूल जा कर कुछ पढ़ा दे....?
मैं........ थोड़ा सा टाइम दो ना माँ, सोचने के लिए......ये क्या....अब मैं क्या तय करूँ.....तय तो आनंद ही करेंगे...कल.
किसी तरह से रात कटी....सुबह हुई.... आंखे दरवाजे पर...... कब संदेशा आये...की आनंद आगये.....ओहो....अभी तो ९:३० ही बजे हैं.........दोपहर होने को आई....कोई समाचार नहीं......क्या हुआ....?
बिटिया......बाबूजी...कल रात को आगये थे.....काका ने समाचार दिया.....
कल रात को...............?
हाँ दीदी.......जब आप लोग दीनानाथ के घर गए थे, तब वो यहाँ आये थे...ये पर्चा दे गए आप के लिए.....
दो तो....." स्कूल ज्वाइन कर लो, तुम्हारी जरूरत है" शुभाकांक्षी .......आनंद.
मै सन्न रह गयी...........पढ़ कर. ये क्या.... सारा काम कर के गए...और माध्यम बनाया प्रिंसिपल साहब को.
माँ..मैं आनंद जीके घर जा रहीं हूँ....स्कूल के बारे मैं सलाह लेनी है....
ठीक..है..खाना खाने आजाना और उसको भी ले आना.
ठीक है माँ..... मैं उड़ चली.....
तुम कल रात आ गए....मुझे खबर तक नहीं दी, तार मैं तो लिखा था की कल दोपहर मे आओगे.....तुम्हे पता है मुझे कितनी चिंता थी....१० बार तो काका को यहाँ भेज दिया....कुछ चिंता किसी की हो तो समझो........क्या करूँ मे तुम्हारा.....
बैठ जाओ, सांस ले लो, पानी पी लो ...फिर तीर चलाओ........... आनंद ने शांति से कहा. हाँ अब बोलो.....
क्या काम था शहर में.......जो बिना बताये चले गए......कल दीनानाथ के घर क्यों नहीं आये...?
अरे बाप रे......लड़की हो या टेप रेकॉर्डर..?
जाओ...... बात मत करो.....
अरे बाबा....मेरा कुर्ता बचा कर गुस्सा थूक दो.....स्कूल तो ज्वाइन कर रही हो ना....
ना ज्वाइन करने की .....गुजाइश कहाँ छोड़ी हैं तुमने....मुझे हंसी आगई.
हाँ...अब ठीक है.....देखो....स्कूल को तुम्हारी और तुम को स्कूल की जरूरत है....घर पर खाली बैठ कर कितनी मक्क्खियाँ मार लोगी..? और खाली दिमाग शैतान का घर भी होता है. Post Graduate हो....तो अपना हूनर जाया क्यों कर रही हो....एक बार जब परिवार की जिम्मेदारी कन्धों पर आ जाती है.....तो ज़िन्दगी सिलबट्टे में चली जाती है. जब तक यहाँ हो.....ज्वाइन कर लो.... उपयुक्त करो तन को.....
मैं एक बार फिर लाजवाब......
३ से साढ़े तीन हज़ार तक तनख्वाह होगी... चाचा जी की पेंशन ... माँ के हाँथ में दे दो..अपने खर्चे के लिए इतना तो काफी है.....बोलो हाँ की ना...?
मै निरुत्तर आनंद की तरफ देखती रह गयी.....जो बात मैं ना सोच पाई.....वो इस इंसान के दिमाग में है.....आवारा मसीहा.
कब से ज्वाइन करना है.....
कल से......
अच्छा शहर क्यों गए थे......
दीनानाथ की बिटिया की छात्रवृति की बात करने.....
तो वो खुद नहीं जा सकता था.....
ज्योति...आज मिथिला अव्वल आई....तो स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी....कल कुछ और बच्चे अगर स्कूल का नाम रोशन करते हैं..... तो चाचा जी का नाम रोशन होगा ....... चाची जी के लिए कितने गर्व की बात होगी....क्यों छोटी छोटी बातों पर मुँह फूला लेती हो.....मैं जानता हूँ दीनानाथ से तुम्हारी क्या नारजगी है.... उसने मेरा अपमान किया था.....अपने घर बुलाकर...यही ना.... तो ईश्वर ने उसका जवाब उसको दे दिया ना.....मिथिला को अव्वल दर्जा दिला कर .....तुम इतनी अच्छी हो...लेकिन कभी-कभी छोटी सी बात पर बिफर जाती हो......
आनंद...........you are too good.
अच्छा..... चलो.....चाय बना दो........मैं समोसे ले कर आया......
आनंद........आनंद .......आवारा मसीहा....आनंद
दीदी.... ये तार आया है. .
तार.....किसका तार. तार के नाम से आज भी मेरे गाँव वाले और में भी काँप जाते हैं....पता नहीं क्या खबर आई है.
लाओ काका....यहीं कमरे में दे दो.
लो दीदी..... तबीयत ठीक नहीं है क्या.....?
हाँ काका....कुछ ढीली है.
किसका तार है बिटिया.......माँ कमरे में घुसीं.
आनंद का.....
क्या हुआ...... सब ठीक तो है ना...?
हाँ ठीक हैं.....लिखा है...की कल दोपहर तक आउंगा. काम नहीं हुआ है अभी.
कौन सा काम....बेटी...?
क्या पता माँ...मुझे भी सारी बाते कहाँ बताते हैं........
तू जाने और आनंद जाने.....चाय पियेगी...मैं बना रही हूँ.
दे दो.....माँ....आधा कप.
पूरी बात ना बताने की आनंद की आदत, ना जाने कब जाएगी. झूठ बोलते नहीं हैं....सच बताते नहीं हैं. किस काम से शहर गए हैं... भगवान् जाने. दीनानाथ से पूंछू .... लेकिन क्या ....की आनंद किस काम से शहर गए हैं....? अगर उनको पता चल गया...की मैने पूंछा था..... तो बुरा लगेगा....उनको. खैर....कल तो आ ही रहे हैं. लेकिन मैं आनंद ही आनंद के बारे मैं क्यों सोचती रहती हूँ......ये मुझे क्या हो रहा है...?
ले बेटी....चाय....और जरा तैयार हो जा.
कहाँ जाना है....माँ?
अरे..... दीनानाथ की बिटिया अव्वल आई है ना....उसने बुलाया है....स्कूल वाले भी आ रहे हैं.
ओहो.....तो शायद इस दावत से बचने के लिए....साहब शहर निकल गए......
अच्छा माँ.....मैं अभी आती हूँ.
नमस्कार...प्रिंसिपल साहब.....
अरे...ज्योति बिटिया....कैसी हो? माता जी कहाँ हैं...?
मैं ठीक हूँ.....माँ...भी आईं हैं.
जरा दर्शन तो करवा दो......
हाँ, हाँ ....आइये.
माँ..... प्रिंसिपल साहब.
अरे नमस्कार प्रिंसिपल साहब ..कैसे हैं आप...? मुबारक हो ..... आप के स्कूल की बिटिया अव्वल आई है जिले में.
शुक्रिया.... माता जी. मुबारक तो आनंद को देनी चाहिए.
आनंद को......???
हाँ...सारी मेहनत और दिशा दर्शन तो उसी का था.
माँ..मेरी तरफ देखने लगी.....मैं क्या बोलती.
अरे...माँ जी ...मिथिला के साथ रात रात बैठ कर उसी ने तो उसको को पढाया. आप से एक प्रार्थना करना चाहता हूँ.....आशा करता हूँ आप निराश नहीं करेंगी....
अरे...ऐसे क्यों कह रहे हैं.... निःसंकोच कहिये.
आप अगर ज्योति बिटिया से कह दे तो वो भी स्कूल में आ कर कुछ योगदान कर दें कुछ दिशा दर्शन कर दें.
हाँथ कंगन को आरसी क्या, पढे-लिखे को फ़ारसी क्या..... यहीं बात कर देती हूँ. ....ज्योति.....यहाँ आ तो बेटी.
क्या हुआ माँ....बेटी....प्रिंसिपल साहब कह रहे हैं...की अगर तू भी स्कूल जा कर कुछ पढ़ा दे....?
मैं........ थोड़ा सा टाइम दो ना माँ, सोचने के लिए......ये क्या....अब मैं क्या तय करूँ.....तय तो आनंद ही करेंगे...कल.
किसी तरह से रात कटी....सुबह हुई.... आंखे दरवाजे पर...... कब संदेशा आये...की आनंद आगये.....ओहो....अभी तो ९:३० ही बजे हैं.........दोपहर होने को आई....कोई समाचार नहीं......क्या हुआ....?
बिटिया......बाबूजी...कल रात को आगये थे.....काका ने समाचार दिया.....
कल रात को...............?
हाँ दीदी.......जब आप लोग दीनानाथ के घर गए थे, तब वो यहाँ आये थे...ये पर्चा दे गए आप के लिए.....
दो तो....." स्कूल ज्वाइन कर लो, तुम्हारी जरूरत है" शुभाकांक्षी .......आनंद.
मै सन्न रह गयी...........पढ़ कर. ये क्या.... सारा काम कर के गए...और माध्यम बनाया प्रिंसिपल साहब को.
माँ..मैं आनंद जीके घर जा रहीं हूँ....स्कूल के बारे मैं सलाह लेनी है....
ठीक..है..खाना खाने आजाना और उसको भी ले आना.
ठीक है माँ..... मैं उड़ चली.....
तुम कल रात आ गए....मुझे खबर तक नहीं दी, तार मैं तो लिखा था की कल दोपहर मे आओगे.....तुम्हे पता है मुझे कितनी चिंता थी....१० बार तो काका को यहाँ भेज दिया....कुछ चिंता किसी की हो तो समझो........क्या करूँ मे तुम्हारा.....
बैठ जाओ, सांस ले लो, पानी पी लो ...फिर तीर चलाओ........... आनंद ने शांति से कहा. हाँ अब बोलो.....
क्या काम था शहर में.......जो बिना बताये चले गए......कल दीनानाथ के घर क्यों नहीं आये...?
अरे बाप रे......लड़की हो या टेप रेकॉर्डर..?
जाओ...... बात मत करो.....
अरे बाबा....मेरा कुर्ता बचा कर गुस्सा थूक दो.....स्कूल तो ज्वाइन कर रही हो ना....
ना ज्वाइन करने की .....गुजाइश कहाँ छोड़ी हैं तुमने....मुझे हंसी आगई.
हाँ...अब ठीक है.....देखो....स्कूल को तुम्हारी और तुम को स्कूल की जरूरत है....घर पर खाली बैठ कर कितनी मक्क्खियाँ मार लोगी..? और खाली दिमाग शैतान का घर भी होता है. Post Graduate हो....तो अपना हूनर जाया क्यों कर रही हो....एक बार जब परिवार की जिम्मेदारी कन्धों पर आ जाती है.....तो ज़िन्दगी सिलबट्टे में चली जाती है. जब तक यहाँ हो.....ज्वाइन कर लो.... उपयुक्त करो तन को.....
मैं एक बार फिर लाजवाब......
३ से साढ़े तीन हज़ार तक तनख्वाह होगी... चाचा जी की पेंशन ... माँ के हाँथ में दे दो..अपने खर्चे के लिए इतना तो काफी है.....बोलो हाँ की ना...?
मै निरुत्तर आनंद की तरफ देखती रह गयी.....जो बात मैं ना सोच पाई.....वो इस इंसान के दिमाग में है.....आवारा मसीहा.
कब से ज्वाइन करना है.....
कल से......
अच्छा शहर क्यों गए थे......
दीनानाथ की बिटिया की छात्रवृति की बात करने.....
तो वो खुद नहीं जा सकता था.....
ज्योति...आज मिथिला अव्वल आई....तो स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी....कल कुछ और बच्चे अगर स्कूल का नाम रोशन करते हैं..... तो चाचा जी का नाम रोशन होगा ....... चाची जी के लिए कितने गर्व की बात होगी....क्यों छोटी छोटी बातों पर मुँह फूला लेती हो.....मैं जानता हूँ दीनानाथ से तुम्हारी क्या नारजगी है.... उसने मेरा अपमान किया था.....अपने घर बुलाकर...यही ना.... तो ईश्वर ने उसका जवाब उसको दे दिया ना.....मिथिला को अव्वल दर्जा दिला कर .....तुम इतनी अच्छी हो...लेकिन कभी-कभी छोटी सी बात पर बिफर जाती हो......
आनंद...........you are too good.
अच्छा..... चलो.....चाय बना दो........मैं समोसे ले कर आया......
आनंद........आनंद .......आवारा मसीहा....आनंद
No comments:
Post a Comment