मैं सच कह रहा हूँ की मैं झूठ बोलता हूँ ...
हँसी आ गयी न ...... आनी ही थी .....
कल एक शुभचिंतक से मुलाक़ात हो गयी ...... तो उनका पहला स्वाभाविक सा सवाल ...कैसे हो ....
अब बताइए मैं क्या जवाब दूँ .......
तुरंत झूठ बोल दिया " ठीक हूँ, बढ़िया हूँ" आदि आदि ....... अब अगर ये सवाल वो आदमी पूंछे जिसे कुछ पता न हो .....तो मेरा जवाब उचित है लेकिन जब ये सवाल वहां से आया हो जिसको पूरा अंदाज है या अंदाज हो ....तो कोई हमे बतलाये की हम बतलाये क्या .....ये तो उसी तरह की बात हो गयी की किसी सोते हुए इंसान को जगा कर उससे पूंछे " सो रहे थे क्या ?" अल्लाह ....अल्लाह .... ये अदा कैसी है इन हसीनो में .....
खैर छोडिये इन बातों को अब आगे बढ़ते हैं .......
मेरी हालत तो ऐसी है की ....
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खडा रहा,
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए .....
सब मगन हैं अपनी अपनी दुनिया में ....
अच्छा एक सवाल हूँ .......गुरु या ईश्वर जो सारे जग को प्रेम का पाठ पढ़ाता है ....क्या वो ये कह सकता है की फलाने आदमी या फलाने इन्सान से दूरी रखो ......संभव है ? मेरे हिसाब से नहीं ......कदापि नहीं . गाने सुनने का शौक हो लेकिन घुंघरू की आवाज़ पसंद नहीं .....
इक पुराना गाना है ना ...
ऐ इश्क ये सब दुनिया बेकार की बाते करतें हैं,
पायल की धुनों का इल्म नहीं झंकार की बाते करतें हैं .....
मेरा ये आलेख किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं हैं। इसे व्यक्तिगत तौर पर ना लिया जाए ......इक आम आदमी का आम सा लेखन ...प्रेम .....जी हाँ प्रेम तो आज कल आम हो गया और मैं इक आम आदमी।
हँसी आ गयी न ...... आनी ही थी .....
कल एक शुभचिंतक से मुलाक़ात हो गयी ...... तो उनका पहला स्वाभाविक सा सवाल ...कैसे हो ....
अब बताइए मैं क्या जवाब दूँ .......
तुरंत झूठ बोल दिया " ठीक हूँ, बढ़िया हूँ" आदि आदि ....... अब अगर ये सवाल वो आदमी पूंछे जिसे कुछ पता न हो .....तो मेरा जवाब उचित है लेकिन जब ये सवाल वहां से आया हो जिसको पूरा अंदाज है या अंदाज हो ....तो कोई हमे बतलाये की हम बतलाये क्या .....ये तो उसी तरह की बात हो गयी की किसी सोते हुए इंसान को जगा कर उससे पूंछे " सो रहे थे क्या ?" अल्लाह ....अल्लाह .... ये अदा कैसी है इन हसीनो में .....
खैर छोडिये इन बातों को अब आगे बढ़ते हैं .......
मेरी हालत तो ऐसी है की ....
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खडा रहा,
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए .....
सब मगन हैं अपनी अपनी दुनिया में ....
अच्छा एक सवाल हूँ .......गुरु या ईश्वर जो सारे जग को प्रेम का पाठ पढ़ाता है ....क्या वो ये कह सकता है की फलाने आदमी या फलाने इन्सान से दूरी रखो ......संभव है ? मेरे हिसाब से नहीं ......कदापि नहीं . गाने सुनने का शौक हो लेकिन घुंघरू की आवाज़ पसंद नहीं .....
इक पुराना गाना है ना ...
ऐ इश्क ये सब दुनिया बेकार की बाते करतें हैं,
पायल की धुनों का इल्म नहीं झंकार की बाते करतें हैं .....
मेरा ये आलेख किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं हैं। इसे व्यक्तिगत तौर पर ना लिया जाए ......इक आम आदमी का आम सा लेखन ...प्रेम .....जी हाँ प्रेम तो आज कल आम हो गया और मैं इक आम आदमी।
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