रामदीन ..........एक पहचानी सी आवाज़ का संबोधन
कौन है ............दरवाजे की तरफ बढ़ते हुए रामदीन काका का सवाल।
अरे मैं ....... सोहन लाल
आओ भाई.....क्या चिट्ठी लाए हो।..
ये ल़ो ..............सोहन लाळ ...चिट्ठी देकर आगे बढ़ गया।
किस की चिट्ठी है।..काका ..........ज्योति का सवाल रामदीन काका से।
पता नहीं लो देख लो।......रामदीन ने चिट्ठी ज्योति के हाँथ में रख दी।.........
ये क्या कोना फटा पोस्टकार्ड।.......ज्योति की सांस सी थम गयी।....वही खड़ी पढने लगी।.....
किसकी चिट्ठी है।...बिटिया।....?? ज्योति की माँ का सवाल।.......
चिट्ठी माँ के हाथों कर ज्योति वहीँ जमीन पर बैठ गयी।......
अरी ....क्या हुआ।...
माँ .......आनंद नहीं रहे।......
क्या.......................
एक महीना हुआ।........
क्या कह रही है।.......तू होश में तो है।.....
उनके घर से चिट्ठी आई है।.....
तो वो यहाँ नहीं था........ तू कब से नहीं मिली उससे।...... क्या हुआ था उसे.........
ज्योति क्या जवाब देती।......कैसे कहती की मैं खुद ही उनसे किनारा कर बैठीं हूँ।....
अंतिम संस्कार ...जारी है।.
1 comment:
अरे ये क्या किया ………कहानी कहाँ पहुँचा दी?
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