कितना अन्धेरा हो गया है......ज्योति तुम घर जाओ.....क्या वक़्त हुआ होगा.....
साढ़े छह....बजे हैं.... ज्योति का जवाब.
अरे साढ़े छह बजे इतना अन्धेरा होता है कहीं......
आनंद....अक्तूबर खत्म होने को है.....जाड़ा धीरे धीरे पाँव पसार रहा है....दिन छोटे होते जा रहे हैं.....
हाँ....ज्योति दिन छोटे होते जा रहे हैं और कम भी.......
ऐसा मत कहो ...आनंद....
नहीं ज्योति....मैं कोई negative रूप में नहीं ..बल्कि हकीकत बयान कर रहा हूँ.
बहुत बदल गए हैं आनंद...आंखें अनंत में न जाने क्या ढूंढती रहतीं हैं....अपने अंदर से बाहर निकलते ही नहीं हैं......आंखें सूख गयी हैं...हंसी गायब.....या ..इन सब से बहुत आगे निकल गए हैं आनंद....
चलो ज्योति घर चलो...कुछ ठण्ड सी लग रही है....
बुखार तो नहीं है....आनंद ...? ज्योति का चिंतित स्वर.
हो भी सकता है.......पीठ मे दर्द है. . लगता है मौसम की करवट..अपना असर दिखा रही है....
आनंद ....... तुम अपना ध्यान नहीं रख सकते..?
ज्योति...जब जीवन सिर्फ जिम्मेदारियों से भरा हो.....तो कहाँ वक़्त मिलता है...अपना ध्यान रखने का...बोलो...बोलो तो...... कभी कभी मन करता है.......
क्या मन करता है...आनंद बोलो...
वो देखो मालिन माँ आ रही हैं......
मुझे आनंद की ये बच निकलने की अदा बड़ी पसंद है....
अरे ज्योति बिटिया......कैसी है.....? मालिन माँ का प्यार भरा सवाल.
आप कैसी हो......
मैं तो ठीक हूँ......अब तो ये साधू आ गया है...अब ठीक हूँ.
मालिन माँ......
बैठ....चाय चाहिए....बनाती हूँ.....
मालिन माँ.....ज्योति ने बुलाया..
क्या है बिटिया.....?
ये साधू कौन है.....
साधू...ये है..ना.
आप चाय बना लो...
आनंद...तो मेरा अनुमान गलत नहीं है...
कौन सा अनुमान.......
यही की तुम बदल गए हो.....
नहीं ज्योति...मैं बदला नहीं...हूँ.....दुनिया के रीति-रिवाज सीखने की कोशिश कर रहा हूँ...
क्यों.....तुम जैसे हो..भले हो....जैसे हो....जो हो..वही रहो......why you want to dump your life..for hollow customs, for useless customs....just be who you are....
हाँ.....तुम ठीक कह रही हो.....
ले बेटा चाय...और ये गरम गरम मठरी.....
वाह.....तो तुम ने ठण्ड की शुरुआत कर दी...मालिन माँ.
ओह...ये गोरइया इतना शोर क्यों मचा रही हैं.....
शाम को घर लौट के आईं हैं... किसी कौव्वे ने इस का घोसला गिरा दिया है.......
ओह...नीड़ का निर्माण फिर...
1 comment:
सरलता से सब कह जाना ही इस कहानीकी रोचकता है।
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