बताओ हैं न मेरे ख्वाब झूठे,
कि जब भी देखा, तुझे अपने साथ देखा।
बहुत मग़रूर होते जा रहे हो,
मुहब्ब्त में कमी करनी पड़ेगी।
तुम मुहब्बत के कौन से तक़ाज़ों कि बात करते हो,
यहाँ तो लोग ख़ुदा को भी, फुरसत मिले तो याद करते हैं .
अब तो तन्हाई का ये आलम है फ़राज़ ,
कोई हँस भी देखे तो मुहब्बत का गुमाँ होता है।
अच्छे लगे जो तुम, सो हमने बता दिया ,
नुक़सान ये हुआ, कि तुम मगरूर हो गए।
मेरी फ़ितरत में नहीं ग़म अपना बयाँ करना ,
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी।
Koi Mukhlis Agar Hota Toh Mein Bhi Mohabat Karti.
Dil To Bahot Milay Hain Magar Koi Dil Se Nahi Milta
कोई मुख़लिस अगर होता तो हम भी मुहब्बत करते,
दिल तो बहुत मिले मगर कोई दिल से नहीं मिला।
Rah-e-muhabbat main ajab sa howa hai haal apna,
Na zakhm nazar ata hai na dard saha jata hai...
राहे मुहब्ब्त में अजब सा हाल है अपना,
न ज़ख्म नज़र आता है, न दर्द सहा जाता है।
कि जब भी देखा, तुझे अपने साथ देखा।
बहुत मग़रूर होते जा रहे हो,
मुहब्ब्त में कमी करनी पड़ेगी।
तुम मुहब्बत के कौन से तक़ाज़ों कि बात करते हो,
यहाँ तो लोग ख़ुदा को भी, फुरसत मिले तो याद करते हैं .
अब तो तन्हाई का ये आलम है फ़राज़ ,
कोई हँस भी देखे तो मुहब्बत का गुमाँ होता है।
अच्छे लगे जो तुम, सो हमने बता दिया ,
नुक़सान ये हुआ, कि तुम मगरूर हो गए।
मेरी फ़ितरत में नहीं ग़म अपना बयाँ करना ,
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी।
Koi Mukhlis Agar Hota Toh Mein Bhi Mohabat Karti.
Dil To Bahot Milay Hain Magar Koi Dil Se Nahi Milta
कोई मुख़लिस अगर होता तो हम भी मुहब्बत करते,
दिल तो बहुत मिले मगर कोई दिल से नहीं मिला।
Rah-e-muhabbat main ajab sa howa hai haal apna,
Na zakhm nazar ata hai na dard saha jata hai...
राहे मुहब्ब्त में अजब सा हाल है अपना,
न ज़ख्म नज़र आता है, न दर्द सहा जाता है।
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