Sunday, March 27, 2011

मीर जाफर.....का नाम तो सुना होगा.....

४५ का हो चला हूँ....गोधूली का वक़्त है.....सूरज अस्त होने के ओर चल  दिया..... लेकिन वक़्त ने अभी तक अपना मजाक करने का लहजा नहीं छोड़ा......ज्योति तुम सुन रही हो, ना.....

ऐ अंधरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखे खोल दी, घर में उजाला हो गया.

सोचा था इस बार बच्चों को ये सिखाउंगा.....लेकिन इस बार पासा उलटा पड़ गया ओर काफी कुछ सीख कर मैं वापस आ गया हूँ.....हाँ...काफी कुछ. इस बार मेरे अपनों ने.....मेरे अपनों...का मतलब तो तुम जानती ही होगी.....मेरे बड़ा कड़ा इम्तिहान लिया.... ओर मैं फेल कर दिया गया.......जरुरी हिदायतों के साथ मुझे वापस भेज दिया.....मेरे अपनों ने....एक नया अपना भी शामिल हुआ....इस बार.

अब दोस्त कोई लाओ मुकाबिल भी हमारे,

दुश्मन तो कोई कद के बराबर नहीं निकला.

तो मेरे अपने ही खड़े हो गए......बोलो..मैं क्या करता.....अगर ये जांघ दिखाऊं तो भी मेरी बदनामी ओर अगर वो जांघ दिखाऊं तो भी मेरी बदनामी.......मुझे हरा दिया......अपनों ने ही....

गिरहें पड़ी हैं किस तरह, ये बात है कुछ इस तरह,

वो डोर टूटी पा रहा, हर बार हमने जोड़ दी,
वो चाहता है सब कहें सरकार तो बे-ऐब है
जो देख पाए ऐब वो, हर आँख उसने फोड़ दी.

मीर जाफर.....का नाम तो सुना होगा.....मेरी गलती इतनी है...की मैंने आवाज़ उठा दी.

3 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत हि शानदार पस्तुति

कविता रावत said...

bahut badiya prastuti
जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।