Monday, September 16, 2019

Wednesday, September 4, 2019

गंगा

गंगा , हाँ गंगा ही तो हो तुम।

आप? आनंद हैं।  न

जी हाँ।  आपने कैसे पहचाना।

आप वो पहाड़ी वाले शिव मंदिर में रहतें हैं।  सारा गाँव आपका ही चर्चा कर रहा है आजकल।

आप मुझे डरा रहीं हैं।

गंगा खिलखिला कर हँस पड़ी। अरे नहीं डरिये नहीं।  मैं कोई डराने वाई चीज़ नहीं हूँ न ही डराने वाली कोई बात कह रही हूँ।  लेकिन आप ने मुझे कैसे पहचाना ? सीधे नाम से पुकारा।

बच्चों से आपके बारे में सुना  था।

कौन से बच्चे ? ओह हाँ कुछ बच्चों को आप मंदिर में पढ़ाते हैं , मैंने सुना।

जी हाँ।

क्या - क्या बताया बच्चों ने ? गंगा का सवाल।

अगर आप बुरा न माने तो हम कहीं बैठ कर बात करें। आनंद का आग्रह।

अरे हाँ।  मैं तो भूल ही गयी।  आइये मेरे घर चलते हैं।  ईजा , बाबू जी भी आपसे मिल कर ख़ुश होंगे।  यहीं पास में ही है मेरा घर।

चलिए।

दोनों चल पड़े।  बच्चे कह रहे थे कि यहाँ स्कूल में पढ़ाती हैं।

जी।

कितने बच्चे हैं स्कूल में ? आनंद का सवाल।

होंगे करीब ४००।

तब तो अच्छा स्कूल होगा।

हाँ अच्छा है।  यहाँ की पंचायत ही रन करती है स्कूल को।  पास के गाँव से भी बच्चे आते हैं और अच्छी बात तो यह है की स्कूल में लड़कियाँ ज़्यादा हैं।

अरे वाह , यह तो वाकई अच्छी बात है।