tag:blogger.com,1999:blog-8220709793514702538.post5278040221058149618..comments2023-10-11T08:13:22.038-07:00Comments on Just be who you are: जाने क्यूँ.....Unknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8220709793514702538.post-61947743826956384432011-01-10T06:44:18.837-08:002011-01-10T06:44:18.837-08:00बहुत सही बात.......दिल से निकली कविता ही दिल तक पह...बहुत सही बात.......दिल से निकली कविता ही दिल तक पहुँचती है........आत्मसंतुष्टि किसी भी चीज में जरुरी है। बहुत ही सुंदर......Er. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8220709793514702538.post-51280373013316626092011-01-08T21:49:30.150-08:002011-01-08T21:49:30.150-08:00देव जी
सबसे पहले तो एक उम्दा लेखन के लिये बधाई…………...देव जी<br />सबसे पहले तो एक उम्दा लेखन के लिये बधाई…………आप तो हमेशा ही गहन चिन्तन करके लिखते हैं………यहाँ भी आपने अपने विचार प्रगट किये…………ज़िन्दगी सिर्फ़ चंद बातो पर निर्भर नही करती…………मै इसका एक और पहलू सोच रही हूँ …………देखिए जब कोई ख्याति प्राप्त करता है वो अलग बात है मगर सिर्फ़ ख्याति के लिये लिखता है वो अलग बात है…………दोनो मे फ़र्क है……………अब आपके किरदार के बारे मे बात करते हैं………प्रार्थना…………यही है ना…………देखिये देव साहब हर्ष कहता है उसे उससे प्यार हो गया मगर उसने ठुकरा दिया और उसके बारे मे पता चला कि वो एक अलग रूप मे रहती है अब सोचने वाली बात ये है कि उसे ख्याति मिल रही है तो उसके पास ना जाने हर्ष जैसे कितनो के पत्र आते होंगे तो बताओ ऐसे मे वो किस किस का प्यार स्वीकार करे? उसे क्या पता कि कौन कैसा प्यार करता है ? दूसरी बात अगर विश्वास भी हो जाये कि वो शारिरीक नही आत्मिक प्रेम है तो फिर रो क्यो रहा है हर्ष्…………बस करता रहे प्रेम ……………क्यों प्रेम का प्रतिकार चाह्ता है या अपने प्रेम मे कमियाँ खोजने बैठ गया……………कोई भी इंसान पता नही किन हालात मे होता है और क्या कहता है उसे सिर्फ़ कुछ बातो या शब्दो से नही जाना जा सकता …………क्रमश:vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8220709793514702538.post-87162041708596317662011-01-08T21:47:49.235-08:002011-01-08T21:47:49.235-08:00देव जी
सबसे पहले तो एक उम्दा लेखन के लिये बधाई…………...देव जी<br />सबसे पहले तो एक उम्दा लेखन के लिये बधाई…………आप तो हमेशा ही गहन चिन्तन करके लिखते हैं………यहाँ भी आपने अपने विचार प्रगट किये…………ज़िन्दगी सिर्फ़ चंद बातो पर निर्भर नही करती…………मै इसका एक और पहलू सोच रही हूँ …………देखिए जब कोई ख्याति प्राप्त करता है वो अलग बात है मगर सिर्फ़ ख्याति के लिये लिखता है वो अलग बात है…………दोनो मे फ़र्क है……………अब आपके किरदार के बारे मे बात करते हैं………प्रार्थना…………यही है ना…………देखिये देव साहब हर्ष कहता है उसे उससे प्यार हो गया मगर उसने ठुकरा दिया और उसके बारे मे पता चला कि वो एक अलग रूप मे रहती है अब सोचने वाली बात ये है कि उसे ख्याति मिल रही है तो उसके पास ना जाने हर्ष जैसे कितनो के पत्र आते होंगे तो बताओ ऐसे मे वो किस किस का प्यार स्वीकार करे? उसे क्या पता कि कौन कैसा प्यार करता है ? दूसरी बात अगर विश्वास भी हो जाये कि वो शारिरीक नही आत्मिक प्रेम है तो फिर रो क्यो रहा है हर्ष्…………बस करता रहे प्रेम ……………क्यों प्रेम का प्रतिकार चाह्ता है या अपने प्रेम मे कमियाँ खोजने बैठ गया……………कोई भी इंसान पता नही किन हालात मे होता है और क्या कहता है उसे सिर्फ़ कुछ बातो या शब्दो से नही जाना जा सकता …………अब सोचिये यदि वो बढावा दे तो क्या हो उसके तो घर के बाहर लाइन लगी रहे और फिर क्या उसने मना किया हर्ष को कि वो उसे प्यार न करे……………प्यार संपूर्णता के साथ किया जाता है किसी से यानि उसकी अच्छाई और बुराई दोनो के साथ्…………मुझे तो नही लगता ये प्यार था जो एक ज़रा सी ठेस लगी और चूर चूर हो गया और अपने आप निर्णय ले लिया कुछ भी सोचने लगा……………इसीलिये कहा गया है प्रेम की गहनता कोई विरला ही जान सकता है……………और सबसे बडी बात वो एक नारी है और सभ्य समाज मे रहती है उसका नाम है तो क्या वो चाहेगी कि उसका नाम ऐसे किसी बात से खराब हो……………मेरे ख्याल से आपके हर्ष किरदार को एक बार फिर सोचना चाहिये और हर पहलू को समझना चाहिये न कि सिर्फ़ कुछ बातो से निष्कर्ष निकालना चाहिये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com